पटना हाईकोर्ट ने एडुकॉम्प सॉल्यूशंस बनाम बीएसईडीसी विवाद में जस्टिस मृदुला मिश्रा को आर्बिट्रेटर नियुक्त किया
Educomp Solutions Vs BSEDC Dispute
पटना हाईकोर्ट ने एडुकॉम्प सॉल्यूशंस लिमिटेड और बिहार राज्य इलेक्ट्रॉनिक्स विकास निगम लिमिटेड के बीच चल रहे विवाद को सुलझाने के लिए अपने पूर्व जज जस्टिस मृदुला मिश्रा को स्वतंत्र आर्बिट्रेटर नियुक्त किया।
यह विवाद 2010 में हस्ताक्षरित समझौते से जुड़ा है, जिसमें आईसीटी स्कूल प्रोजेक्ट के लिए निर्माण, स्वामित्व, संचालन और स्थानांतरण ढांचे के तहत तीन साल का अनुबंध शामिल है। इस परियोजना का उद्देश्य बिहार राज्य के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के स्कूलों में आईसीटी शिक्षा परियोजना के लिए कंप्यूटर लैब, हार्डवेयर नेटवर्किंग उपकरण, सिस्टम एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर, निर्बाध बिजली आपूर्ति और प्रशिक्षण स्थापित करना है।
सुनवाई के दौरान, याचिकाकर्ता ने आर्बिट्रेशन एग्रीमेंट के अनुच्छेद 21 का हवाला दिया और विशेष रूप से इस बात पर प्रकाश डाला कि जब मामला बिहार लोक निर्माण अनुबंध विवाद आर्बिट्रल ट्रिब्यूनल को भेजा गया तो उत्तरदाताओं ने आर्बिट्रेशन आयोजित करने के लिए ट्रिब्यूनल के अधिकार पर आपत्ति जताई और कहा कि अनुबंध की विषय वस्तु को बिहार लोक निर्माण अनुबंध विवाद मध्यस्थता न्यायाधिकरण अधिनियम, 2008 की धारा 2 (के) के तहत राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित नहीं किया गया।
अदालत ने कहा,
"ट्रिब्यूनल ने दावे को खारिज कर दिया। इसलिए याचिकाकर्ता इस अदालत के समक्ष स्वतंत्र आर्बिट्रेटर की नियुक्ति की मांग कर रहा है।"
हालांकि, उत्तरदाताओं की ओर से पेश वकील ने कहा कि आर्बिट्रेशन क्लॉज की अनुपस्थिति में कोई आर्बिट्रेशन नहीं की जा सकती और याचिकाकर्ता को उचित उपचार के लिए सिविल कोर्ट से संपर्क करना होगा।
चीफ जस्टिस के. विनोद चंद्रन ने कहा,
“यह न्यायालय प्रतिवादियों के विद्वान वकील की इस दलील से पूरी तरह सहमत है कि पक्षों के बीच समझौते के माध्यम से ट्रिब्यूनल को कोई शक्ति प्रदान नहीं की जा सकती। हालांकि, यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि यह ऐसा मामला नहीं है जहां आर्बिट्रेशन क्लॉड का पूर्ण अभाव है, वहां पार्टियां मध्यस्थता के लिए सहमत थीं। लेकिन फिर भी इसे आर्बिट्रेशन ट्रिब्यूनल को भेजा जाना है; जो अब विवाद पर आर्बिट्रेशन करने में सक्षम नहीं पाया गया, जो निष्कर्ष अनुबंध की विषय वस्तु पर आधारित है।"
अदालत ने कहा,
“ऐसी परिस्थितियों में यह नहीं कहा जा सकता कि कोई आर्बिट्रेशन क्लोज है ही नहीं। आर्बिट्रेशन क्लोज को पूर्ण प्रभाव दिया जाना चाहिए और उस परिस्थिति में अधिनियम, 1996 पूरी तरह से लागू होता है। अनुरोध मामले की अनुमति दी जानी चाहिए।”
तदनुसार, पार्टियों की सहमति से अदालत ने पार्टियों के बीच हुए समझौते से उत्पन्न विवादों का निपटारा करने के लिए स्वतंत्र मध्यस्थ नियुक्त किया।
अदालत ने कहा,
"चूंकि विवाद वर्ष 2010 के एक समझौते से उत्पन्न हुआ है, इसलिए सुनवाई में तेजी लाई जाए।"
केस टाइटल: एडुकॉम्प सॉल्यूशंस लिमिटेड बनाम बिहार राज्य इलेक्ट्रॉनिक्स डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड
अपीयरेंस: याचिकाकर्ता/ओं के लिए: श्री अंजनी कुमार झा, प्रतिवादी/प्रतिवादियों की ओर से: गिरिजीश कुमार।
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