पटना हाईकोर्ट ने परीक्षा आयोजित करने, रिजल्ट घोषित करने में देरी को लेकर दायर जनहित याचिका में 3 विश्वविद्यालयों के कुलपतियों पर प्रत्येक पर 5,000 रुपए का का जुर्माना लगाया

Update: 2022-12-08 04:23 GMT

पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) ने बिहार में राज्य के विश्वविद्यालयों में परीक्षा आयोजित करने और रिजल्ट घोषित करने में देरी को लेकर दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए 3 विश्वविद्यालयों के कुलपतियों पर प्रत्येक पर 5,000 रुपए का का जुर्माना लगाया।

चीफ जस्टिस संजय करोल और जस्टिस पार्थ सारथी की बेंच ने तीन विश्वविद्यालय के कुलपतियों- ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, मगध विश्वविद्यालय, और वीर कुंवर सिंह पर 5,000 रुपये का जुर्माना लगाया क्योंकि वे अपने संबंधित विश्वविद्यालयों में रिजल्ट की घोषणा में देरी के संबंध में अदालत द्वारा मांगे गए विवरण को प्रस्तुत करने में विफल रहे।

यह ध्यान दिया जा सकता है कि याचिकाकर्ता विवेक राज, सौरव कुमार और श्वेत कुमार सिंह ने एडवोकेट शाश्वत के माध्यम से एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की है, जिसमें 10 राज्य विश्वविद्यालयों को यूजीसी के दिशा-निर्देशों के अनुसार समयबद्ध तरीके से स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर की परीक्षा आयोजित करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।

4 नवंबर, 2022 को मामले से निपटते हुए उच्च न्यायालय ने सभी 10 विश्वविद्यालयों के कुलपतियों से याचिका में प्रतिवादी के रूप में बहस करने को कहा। कोर्ट ने 5 हजार रुपये का जुर्माना लगाने की चेतावनी भी दी थी अगर वे ऐसा करने में विफल रहते हैं।

अब 6 दिसंबर को 10 कुलपतियों में से 7 ने अपने-अपने हलफनामे/जवाब दायर किए जिसमें उनके द्वारा चलाए जा रहे पाठ्यक्रम के परिणाम घोषित करने की समय-सीमा बताई गई थी। हालांकि मगध विश्वविद्यालय और वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के कुलपति इस मामले में कोई जवाब दाखिल करने में विफल रहे।

साथ ही, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के वीसी ने हलफनामा दायर करने के बावजूद पूरी जानकारी नहीं दी और इसलिए, 3 कुलपतियों को निर्देश दिया गया कि वे अपने व्यक्तिगत वेतन से पटना हाईकोर्ट एडवोकेट्स क्लर्क वेलफेयर एसोसिएशन में 5000/- रुपये के जुर्माने का भुगतान करें। साथ ही, पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय और पूर्णिया विश्वविद्यालय के कुलपतियों को अपने विश्वविद्यालयों में छात्रों द्वारा किए गए विभिन्न पाठ्यक्रमों के लिए परीक्षा आयोजित करने और परिणाम घोषित करने में देरी का कारण बताते हुए अपना व्यक्तिगत हलफनामा दायर करने के लिए कहा है।

मामले की अगली सुनवाई 14 दिसंबर, 2022 को होगी।

गौरतलब है कि याचिका में कहा गया है कि आंकड़ों के अनुसार, 7 लाख से अधिक छात्र शैक्षणिक कैलेंडर में सत्र के बैकलॉग से प्रभावित हैं, क्योंकि बिहार के कई राज्य विश्वविद्यालयों ने कई स्नातक और स्नातकोत्तर कार्यक्रमों की परीक्षाएं आयोजित करने और रिजल्ट घोषित करने में चूक की है।

केस टाइटल - विवेक राज बनाम बिहार राज्य व अन्य।

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