वित्त विधेयक 2020 संसद से बिना किसी बहस के पास, संसद अनिश्चित काल के लिए स्थगित
लोकसभा ने सोमवार को वित्त विधेयक 2020 को पास कुछ संशोधनों के साथ ध्वनिमत से पास कर दिया। इसके बाद इस विधेयक को राज्यसभा में भेजा गया जिसने इसे बिना ग़ौर किए वापस कर दिया। इसका मतलब यह हुआ कि यह विधेयक संसद से पास हो गया है।
इस विधेयक को पास करने के बाद संसद को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया।
पार्टी के नेताओं के निर्णय के बाद इस विधेयक को बिना किसी चर्चा के पास कर दिया गया क्योंकि कोविड-19 की स्थिति के कारण संसद को शीघ्र स्थगित किए जाने की माँग हो रही थी।
इस विधेयक को सदन में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने पेश किया और इसके पास हो जाने के बाद केंद्रीय बजट 2020 में सरकार के वित्तीय प्रस्तावों को संसद की अनुमति मिल गई है जो कि वित्त वर्ष 2020-21 के लिए है।
विधेयक में कर में संशोधन के प्रस्तावों को भी मंज़ूरी मिल गई है जिसमें अन्य बातों के अलावा निगमित कर में 15% की छूट दी गई है। इस विधेयक में आयकर अधिनियम के तहत "निवासी" की परिभाषा को बदल दिया गया है। वर्तमान में उसी को भारत का निवासी समझा जाता है अगर उसके वैश्विक आय पर भारत में कर लगाया जाता है, अगर वे भारत में 182 दिनों से अधिक समय तक रहते हैं। पर अब इस समय सीमा को घटाकर 120 दिन कर दिया गया है।
इस प्रावधान को लेकर चिंता व्यक्त की गई कि आयकर अधिनियम की धारा 6 के संशोधन से जो वास्तविक अनिवासी भारतीय हैं उनकी कमाई पर असर पड़ेगा। इस मुद्दे पर बढ़ते विवाद को देखते हुए वित्त मंत्रालय ने 2 फ़रवरी को एक स्पष्टीकरण जारी किया था कि नए प्रावधान का मतलब उन भारतीय नागरिकों को कर के दायरे में लाना नहीं है जो दूसरे देशों में वैध तरीक़े से काम कर रहे हैं।
हालाँकि विपक्ष इस विधेयक पर चर्चा कराने पर ज़ोर दे रहा था पर अध्यक्ष ओम बिरला ने मंत्री के यह कहने पर कि सर्वदलीय बैठक में इस विधेयक को बिना किसी चर्चा के पास करने पर सहमति हुई है, ध्वनि मत से पास करने का रास्ता अपनाया।
इस विधेयक में आयकर अधिनियम में कुल 41 संशोधन सुझाए गए थे। इसें कुछ ग़ैर-कर संशोधन प्रस्ताव भी शामिल थे जिनमें बेनामी परिसंपत्ति कारोबार प्रतिबंध अधिनियम, 1988 भी शामिल है।
चूँकि सभी पार्टियों ने निर्णय किया कि इस विधेयक पर कोई चर्चा नहीं हो इसलिए इस पर सीधे वोटिंग कराया गया। वोटिंग के दौरान कई बार व्यवधान पैदा हुआ। आरएसपी के एनके प्रेमचंद्रन ने ऐसे महत्त्वपूर्ण विधेयक को आनन-फ़ानन में पास करने पर आपत्ति की। दूसरे सदस्यों ने कोविड-19 को देखते हुए इसमें वित्तीय राहत को शामिल किए जाने की माँग की।
बाद में इस विधेयक राज्यसभा ने भी सभी मुद्दों पर ग़ौर करने के बाद इसे बिना किसी चर्चा के वापस कर दिया।
यह पहला मौक़ा नहीं है कि वित्त विधेयक को बिना किसी चर्चा के पास कर दिया गया। 16वीं लोकसभा में 2018 में भी वित्त विधेयक को बिना किसी चर्चा के पास कर दिया गया था और उस समय लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन थीं। उस समय भी विपक्ष ने इसका कड़ा विरोध किया था और सरकार के ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव की माँग कर रहा था।