ओडिशा में 50 और पेपरलेस कोर्ट खुलीं, कुल संख्या 84 हुई; गंजाम संपूर्ण रूप से पेपरलेस कोर्ट वाला पहला जिला बना
उड़ीसा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ. एस. मुरलीधर ने सोमवार को वर्चुअल मोड में ओडिशा के 23 जिलों में 50 और पेपरलेस कोर्ट का उद्घाटन किया। इस कार्यक्रम में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और सूचना तकनीक समिति के अध्यक्ष जस्टिस सुभासिस तालापात्रा और हाईकोर्ट के जजों ने भाग लिया।
पिछले साल सितंबर में सभी 30 जिलों को कवर करने वाले 34 पेपरलेस कोर्ट का उद्घाटन तत्कालीन सीजेआई उदय उमेश ललित ने किया था।
हाईकोर्ट द्वारा की गई कई ई-पहलों की सराहना करते हुए उन्होंने कहा था,
“हमें नई दिशा, नई रोशनी दिखाने के लिए आप सभी, सबसे पहले उड़ीसा हाईकोर्ट बधाई के पात्र हैं। मैं चाहता हूं कि इसे अपनाया जाए, हर जगह अपनाया जाए।"
चीफ जस्टिस मुरलीधर ने 5 और 6 मई, 2023 को कटक में आयोजित "डिजिटलीकरण, ई-पहल और पेपरलेस कोर्ट पर राष्ट्रीय सम्मेलन" के समापन समारोह में तीन महीने की अवधि के भीतर राज्य में 100 पेपरलेस कोर्ट खोलने की घोषणा की थी।
इस उद्घाटन के साथ राज्य की जिला न्यायपालिका में पेपरलेस कोर्ट की संख्या 84 तक पहुंच गई है और गंजाम सभी अदालतों को पेपरलेस करने वाला राज्य का पहला जिला बन गया। रजिस्ट्री ने बताया कि निकट भविष्य में 50 और पेपरलेस कोर्ट खोलने की योजना है।
चीफ जस्टिस मुरलीधर ने वर्चुअल मीटिंग को संबोधित करते हुए कहा कि दूसरे चरण में 50 पेपरलेस कोर्ट का उद्घाटन ओडिशा न्यायपालिका द्वारा पार किया गया एक और मील का पत्थर है और यह कार्य प्रगति पर है और अगले 50 पेपरलेस कोर्ट को एक महीने के भीतर कार्यात्मक बना दिया जाएगा।
उन्होंने न्यायालयों के कामकाज के लिए तकनीक को अपनाने में अग्रणी भूमिका निभाने के लिए न्यायपालिका की सराहना की। उन्होंने कहा कि COVID-19 महामारी के कारण न्यायपालिका में तकनीक के उपयोग में तेजी आई है और तकनीक न्यायिक अधिकारियों के काम करने के तरीके को बदल देगी।
अपने अनुभव को साझा करते हुए चीफ जस्टिस ने कहा कि पेपरलेस कोर्ट में काम करने से न्यायाधीशों के लिए डिजिटल अभिलेखागार से संबंधित दस्तावेजों तक पहुंचना बहुत आसान हो जाता है, जो कि विशाल भौतिक रिकॉर्ड में कहीं अधिक कठिन है और यह न्यायाधीश की मानसिकता पर सकारात्मक प्रभाव डालता है।
उन्होंने स्पेस के पुनर्निर्माण और न्यायालय की संपूर्ण वास्तुकला पर पेपरलेस कोर्ट के प्रभाव पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि डिजिटलीकरण, ई-फाइलिंग और पेपरलेस कोर्ट के सभी उपाय न्याय तक पहुंच को अधिक किफायती, अधिक कुशल और अधिक प्रभावी बनाने के लिए हैं।