उड़ीसा उच्च न्यायालय ने COVID-19 इलाज के रूप में लाल चींटी चटनी के उपयोग के प्रस्ताव वाली याचिका खारिज की

Update: 2021-04-10 07:39 GMT

उड़ीसा उच्च न्यायालय ने शुक्रवार (09 अप्रैल) को एक याचिका खारिज कर दी, जिसमें यह दावा किया गया था कि 'कैई (कुकुटी) चटनी (पेस्ट)' जो लाल चींटियों का उपयोग करके तैयार की जाती है, COVID-19 वायरस के संक्रमण को रोक सकती है।

याचिका को खारिज करते हुए, मुख्य न्यायाधीश एस. मुरलीधर और न्यायमूर्ति बी. पी. राउत्रे की पीठ ने कहा कि आदिवासी समुदायों द्वारा औषधीय और चिकित्सीय उद्देश्यों के लिए लाल चींटी की चटनी या सूप का उपयोग, उनके पारंपरिक ज्ञान प्रणालियों पर आधारित है, जिसपर टिप्पणी करने के लिए न्यायालय उचित ज्ञान नहीं रखता है।

कोर्ट के समक्ष दी गई दलील

कोर्ट के समक्ष याचिकाकर्ता सहायक अभियंता (सिविल), टेकतपुर, आर एंड बी सेक्शन, बारीपदा, जिलामायूरभंज के रूप में काम कर रहा है और वह बथुडी आदिवासी समुदाय से है।

अपनी दलील में उन्होंने दावा किया कि 'कैई (कुकुटी) चटनी (पेस्ट)' जो लाल चींटियों, हरी मिर्च (धनुआ लंका) के साथ मिलाकर तैयार की जाती है, एक गुणकारी औषधि है जो प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा दे सकती है और इस प्रकार, कोविड -19 संक्रमण से बचा सकती है।

इससे पहले जब वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) द्वारा याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन पर विचार नहीं किया गया था, तो याचिकाकर्ता ने एक याचिका दायर की थी, जिसे ICMR को उनके प्रतिनिधित्व पर निर्णय लेने के निर्देश के साथ न्यायालय ने निपटा दिया था।

इसके बाद, याचिकाकर्ता ने अभ्यावेदन को आयुष मंत्रालय, भारत सरकार और सीएसआईआर दोनों को भेज था हालांकि दोनों ही के द्वारा उनके प्रतिनिधित्व पर एक प्रारम्भिक राय देकर आगे विचार करने से इनकार कर दिया गया।

इसके पश्चयात, याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत के समक्ष एक दूसरी याचिका दाखिल कर जोर देकर कहा कि आयुष मंत्रालय के साथ-साथ सीएसआईआर, दोनों को, इस मामले को विशेषज्ञों के दूसरे निकाय के पास भेजना चाहिए और याचिकाकर्ता ने न्यायालय के समक्ष प्रार्थना की कि वह इस उद्देश्य के लिए वर्तमान याचिका में नोटिस जारी करे।

इस पर कोर्ट ने कहा,

"अदालत उपरोक्त प्रार्थनाओं को स्वीकार करने के लिए इच्छुक नहीं है। ये सीएसआईआर और सेंट्रल काउंसिल फॉर रिसर्च इन आयुर्वेदिक साइंसेज जैसे विशेष निकायों द्वारा निर्णय के लिए सबसे अच्छे मामले हैं, जो खुद विशेषज्ञ हैं।"

गौरतलब है कि कोर्ट ने आगे यह भी कहा

"न्यायालय के पास कथित विशेषज्ञ निकायों के निर्णय पर अपील में बैठने के लिए अपेक्षित विशेषज्ञता नहीं है।"

तदनुसार याचिका खारिज कर दी गई।

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