स्वतंत्रता सैनिक सम्मान पेंशन योजना के तहत केवल स्वतंत्रता सेनानी ही लाभ के पात्र हैं, उग्रवाद से लड़े लोग नहीं: जेएंडके एंड एल हाईकोर्ट

Update: 2023-09-07 10:10 GMT

जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख हाईकोर्ट ने हाल ही में एक फैसले में कहा कि स्वतंत्रता सैनिक सम्मान पेंशन योजना (एसएसएस पेंशन प्लान) के तहत आतंकवाद के खिलाफ लड़ा व्य‌क्ति पेंशन नहीं पा सकता है, क्योंकि ऐसा व्य‌क्ति पेंशन योजना के मानदंडों को पूरा नहीं करता।

जस्टिस संजय धर ने कहा कि एसएसएस पेंशन प्लान उन लोगों को सम्मानित करने के लिए विशेष रूप से बनाया गया है, जिन्होंने राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से भाग लिया था।

कोर्ट ने कहा,

"जिस व्यक्ति ने उग्रवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ी, वह पेंशन प्लान के तहत पात्र नहीं है। केवल वे व्यक्ति ही पात्र हैं, जिन्होंने राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया था।"

याचिकाकर्ता की मांग थी कि उसे एसएसएस पेंशन प्लान के तहत स्वतंत्रता सेनानियों की श्रेणी में शामिल किया जाए। उसने तर्क दिया था कि उसने कई आतंकवादियों से लड़ने में मदद की है, जिसके लिए उसे भारतीय सेना ने सराहा भी है। इसलिए उसे पेंशन के लिए योग्य माना जाना चाहिए।

फैसले में अदालत ने एसएसए पेंशन प्लान, 1980 में निर्धारित विशिष्टताओं, विशेष रूप से पात्रता मानदंडों की जांच की। कोर्ट नोट किया कि यह योजना उन व्यक्तियों को पेंशन देती है, जिन्होंने ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से भाग लिया था।

पीठ ने कहा कि एसएसए पेंशन 1980 में दिए गए पात्रता मानदंड के अनुसार, किसी व्यक्ति को स्वतंत्रता सेनानी माने जाने की शर्त यह है कि आजादी से पहले वह देश की मुख्य भूमि की किसी जेल में कम से कम छह महीने की कैद में रहा हो।

इसलिए, यह पाया गया कि याचिकाकर्ता एसएसए योजना के तहत लाभ के लिए पात्र नहीं था। इस प्रकार न्यायालय ने माना कि याचिका में योग्यता नहीं है और उसे खारिज कर दिया गया।

केस टाइटल: नूर अहमद शाह बनाम यूनियन ऑफ इंडिया और अन्य।

साइटेशन: 2023 लाइव लॉ (जेकेएल) 241

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