केवल 'भारतीय नागरिक' वरिष्ठ नागरिक अधिनियम के तहत कार्यवाही शुरू कर सकते हैं: कर्नाटक हाईकोर्ट

Update: 2022-03-31 10:10 GMT

कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा कि केवल 'भारतीय नागरिक' माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम, 2007 के तहत कार्यवाही शुरू कर सकते हैं।

जस्टिस पी. कृष्णा भट की एकल न्यायाधीश पीठ ने कहा,

"यह स्पष्ट है कि अधिनियम के प्रयोजनों के लिए 'वरिष्ठ नागरिक' नामित किए जाने के लिए आवश्यक तत्वों में से एक व्यक्ति का भारतीय नागरिक होना है।"

याचिकाकर्ता डेफनी ग्लेडिस लोबो ने यूनाइटेड किंगडम की स्थायी निवासी कैरोलीना फेराओ गुरेन द्वारा दायर शिकायत के आधार पर सहायक आयुक्त और अध्यक्ष, वरिष्ठ नागरिक भरण-पोषण न्यायाधिकरण, मैंगलोर द्वारा शुरू की गई कार्यवाही को रद्द करने की मांग करते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया।

अदालत ने कहा,

"प्रतिवादी नंबर दो का पासपोर्ट अनुलग्नक-बी में प्रस्तुत किया गया है। यह दर्शाता है कि प्रतिवादी नंबर दो कैरोबिना फेराओ गुएरिन एक ब्रिटिश नागरिक है। उसकी तस्वीर भी पासपोर्ट पर चिपका दी गई है, इसलिए यह स्पष्ट है कि वह एक भारतीय नागरिक नहीं है, क्योंकि भारत का संविधान दोहरी नागरिकता प्रदान नहीं करता।"

अदालत ने अधिनियम की धारा दो (एच) का उल्लेख किया जो 'वरिष्ठ नागरिक' को परिभाषित करता है। इसमें कहा गया कि "वरिष्ठ नागरिक" का अर्थ भारत का नागरिक होने वाला कोई भी व्यक्ति है, जिसने साठ वर्ष या उससे अधिक की आयु प्राप्त कर ली है।

इसके बाद अदालत ने कहा,

"अनुलग्नक-बी में पासपोर्ट स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि प्रतिवादी नंबर दो, जिसके कहने पर प्रतिवादी नंबर एक द्वारा कार्यवाही शुरू की गई है, एक भारतीय नागरिक नहीं है। इस मामले में प्रतिवादी नंबर एक के पास अधिनियम के तहत कार्यवाही शुरू करने का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं था। तदनुसार, याचिका रद्द किए जाने योग्य है।"

केस का शीर्षक: डेफनी ग्लेडिस लोबो बनाम सहायक आयुक्त और राष्ट्रपति वरिष्ठ नागरिक अनुरक्षण न्यायाधिकरण

केस नंबर: रिट याचिका संख्या 6720/2016

साइटेशन: 2022 लाइव लॉ (कर) 97

आदेश की तिथि: 22 मार्च, 2022

उपस्थिति: याचिकाकर्ता के लिए एडवोकेट ओ शिवराम भट; एडवोकेट रमेश गौड़ा, R1 के लिए; एडवोकेट गजेंद्र जी, R2 . के लिए

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