'अब तक 109 गवाहों में से केवल 6 से पूछताछ की गई': सुप्रीम कोर्ट ने यूएपीए के तहत 8 साल से हिरासत में रहा अंडर-ट्रायल आरोपी को जमानत दी

Update: 2022-04-14 10:34 GMT

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने यूएपीए (UAPA)के तहत आठ साल से हिरासत में रहा अंडर-ट्रायल आरोपी को जमानत दी।

जहीर हक को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम, 1967 की धारा 10, 13, 15, 16, 17, 18, 18 ए, 18 बी, 19, 20, 23 और 38 के तहत दंडनीय अपराधों के लिए प्राथमिकी के संबंध में 08.05.2014 को गिरफ्तार किया गया था।

उसके खिलाफ 17.09.2014 को चार्जशीट दायर की गई थी। 29.01.2018 को आरोप तय किए गए।

राजस्थान उच्च न्यायालय ने उसकी जमानत अर्जी खारिज कर दी जिसके खिलाफ उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।

अदालत ने कहा कि मुकदमे के लिए अभियोजन पक्ष 109 गवाहों से पूछताछ करना चाहता है, जिनमें से अब तक केवल 6 गवाहों का ही पूरी तरह से परीक्षण किया जा सका है।

पीठ ने यह भी कहा कि अभियोजन पक्ष का मामला यह है कि आरोपी एक आरोपी के संपर्क में था, जो इंडियन मुजाहिदीन के स्लीपर सेल मॉड्यूल का प्रमुख है।

पीठ ने कहा,

"बिना किसी विवाद के यह पाया जा सकता है कि अपीलकर्ता जो एक विचाराधीन कैदी है, वह पहले ही लंबी अवधि की कैद से गुजर चुका है।"

पीठ ने यूनियन ऑफ इंडिया बनाम के.ए. नजीब (2021) (3) एससीसी 713 में की गई टिप्पणियों पर गौर किया, जिसमें कहा गया कि मुकदमे में देरी यूएपीए के तहत जमानत का आधार हो सकती है।

कोर्ट ने आगे देखा,

"अधिनियम 1967 की धारा 43डी(5) की स्थिति को नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट, 1985 में निहित प्रावधानों की तुलना में कम कठोर समझा गया है, जैसा कि हमारे द्वारा पहले ही देखा जा चुका है। हम सोचेंगे कि प्रकृति में अपीलकर्ता के खिलाफ मामला, सबूत जो पहले ही सामने आ चुके हैं और सबसे बढ़कर, लंबी अवधि की कैद जो अपीलकर्ता पहले ही भुगत चुकी है, समय आ गया है कि अपीलकर्ता को जमानत दी जाए।"

मामले का विवरण

जहीर हक बनाम राजस्थान राज्य | 2022 लाइव लॉ (एससी) 372 | सीआरएल ए 605 ऑफ 2022 | 11 अप्रैल 2022

कोरम: जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस हृषिकेश रॉय

वकील: एओआर मो. अपीलकर्ता के लिए इरशाद हनीफ, प्रतिवादी के लिए एओआर प्रगति नीखरा

आदेश की कॉपी यहां पढ़ें:





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