'आपने आरबीआई से अतिरिक्त लाभांश प्राप्त किए हैं? कम-से-कम गरीबों को वैक्सीन मुफ्त में क्यों नहीं देते?': केरल हाईकोर्ट ने केंद्र से कहा

Update: 2021-05-24 11:25 GMT

केरल हाईकोर्ट ने इंडियन एक्सप्रेस के एक आर्टिकल का हवाला देते हुए कहा कि केंद्र, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से प्राप्त 99 करोड़ रुपये के अतिरिक्त लाभांश का उपयोग वैक्सीन की खरीद के लिए कर सकता है।

न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन ने यह सुझाव तब दिया जब स्वयं और न्यायमूर्ति एमआर अनीता  की पीठ ने केंद्र द्वारा वैक्सीन की कीमत के निर्धारण में उदारीकरण और त्वरित राष्ट्रीय COVID-19 टीकाकरण रणनीति (वैक्सीन नीति) को चुनौती देने वाली दो याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।

न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन ने टीकों की खरीद के लिए उपयोग किए जाने वाले अतिरिक्त लाभांश के संबंध में कहा कि केंद्र 150 या 250 रुपये में टीके खरीद सकता है।

कोर्ट ने कहा कि,

"आरबीआई ने केंद्र को सकल घरेलू उत्पाद का 0.5% यानी 95 हजार करोड़ रूपये का लाभांश दिया। 45 हजार करोड़ रूपये अनुमानित (लाभांश) है, इसलिए आपको लगभग 54,000 करोड़ रूपये अधिक मिले हैं। अब केवल एक अंकगणित है। 137 करोड़ (भारत की जनसंख्या) ) x 250 (वैक्सीन की लागत) यानी लगभग 34000 बस इतना देने में आपको क्या दिक्कत है? आरबीआई ने आपको 54 करोड़ रूपये अधिक दिए हैं। घाटा घटकर 1.75 लाख रुपये हो जाएगा। यह सच है, लेकिन आपके सामने पूरा वित्तीय वर्ष है। हम उम्मीद करते हैं कि COVID19 की स्थिति में सुधार होगा और अर्थव्यवस्था में भी सुधार होगा। आप इस पर कुछ क्यों नहीं करते?"

केंद्र सरकार के वकील के राजकुमार ने जवाब दिया,

"यह एक नीतिगत निर्णय है।"

कोर्ट ने कहा कि,

"मैं नीतिगत फैसले को प्रभावित करने की कोशिश नहीं कर रहा हूं। मैं केवल नीति निर्माताओं को यह बताने की कोशिश कर रहा हूं कि आपके पास इतना पैसा है, आप ऐसा क्यों नहीं करते हैं?"

याचिकाकर्ताओं में से एक के वकील अधिवक्ता संतोष मैथ्यू ने प्रस्तुत किया कि राज्य में कोवैक्सिन की कमी है।

अधिवक्ता प्रशांत सुगथन ने यह मुद्दा उठाया कि वैक्सीन नीति से पहले की स्थिति की तुलना में टीकाकरण में गिरावट आई है। उन्होंने कहा कि निजी कंपनियां टीके दे रही हैं, लेकिन लोगों को सरकारी माध्यमें से टीका प्राप्त नहीं हो रहा है।

कोर्ट ने केंद्र सरकार के वकील से कहा कि यहां पर केंद्र सरकार भी भूमिका का विशेष महत्व है। अब आपने आरबीआई से अतिरिक्त लाभांश प्राप्त किए हैं, आप इसे कम से कम गरीबों को क्यों नहीं देते?"

अदालत ने केंद्र को इस संबंध में जवाब देने का निर्देश देते हुए सरकार के बयान के लिए मामले को स्थगित किया।

कोर्ट ने इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कहा कि निजी अस्पताल और अन्य सीधे वैक्सीन निर्माताओं से टीके खरीदने के लिए इच्छुक हैं। कोर्ट ने केंद्र को इस पहलू पर भी विचार करने का निर्देश दिया।

कोर्ट से स्टेट अटॉर्नी ने कहा कि केरल ने वैक्सीन खरीदने के लिए एक ग्लोबल टेंडर निकाला है। वैश्विक टेंडर ठीक है, लेकिन हम समय के विपरीत दौड़ रहे हैं। अगर निर्माताओं के पास टीके हैं और निजी अस्पताल उसे खरीदने को तैयार हैं तो उन्हें खरीदने दें।

कोर्ट ने सुझाव दिया कि सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए कीमतों को सीमित कर सकती है कि निजी अस्पताल COVID-19 के मरीजों से इलाज के लिए वैक्सीन की अधिक कीमत न लें। कोर्ट ने इन टिप्पणियों के साथ कहा कि वह इन पहलुओं पर बाद में दिन में एक अंतरिम आदेश पारित करेगा।

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