पुस्तकों पर अधिकतम विक्रय मूल्य नहीं लिखना अनुचित व्यापार व्यवहार : हैदराबाद उपभोक्ता फ़ोरम

Update: 2020-02-07 07:30 GMT

हैदराबाद के ज़िला उपभोक्ता विवाद निवारण फ़ोरम ने कहा है कि पुस्तकों पर अधिकतम विक्रय मूल्य (एमआरपी) नहीं लिखना उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा 2(1)(g) के तहत अनुचित व्यापार व्यवहार की श्रेणी में आता है।

अध्यक्ष वक्कांति नरसिम्हा राव और सदस्य वीपीटीआर जवाहर बाबू और आरएस राजेश्री की पीठ ने पेंग्विन बुक्स इंडिया की इस दलील को ख़ारिज कर दिया कि उसने पुस्तकों पर एमआरपी के स्टिकर्स लगाए थे। फ़ोरम ने कहा कि पुस्तकों पर एमआरपी प्रिंट करने से विक्रेता को अपने पसंद की किसी भी क़ीमत पर पुस्तक बेचने का मौक़ा होता है।

यह पीठ बगलेकर आकाश कुमार की शिकायत पर सुनवाई करते हुए यह बात कही। बगलेकर ने एक पुस्तक "Outliers: The Story of Success by Malcom Gladwell" ख़रीदी थी जिसे पेंग्विन बुक्स इंडिया ने प्रकाशित किया है। उसने यह पुस्तक फ्लिपकार्ट के माध्यम से ₹281 में ख़रीदी।

प्रतिवादी ने कहा कि इनमें से प्रत्येक पुस्तक पर ₹499/- के एमआरपी का स्टिकर लगा था। शिकायतकर्ता ने सीधे उससे पुस्तक नहीं ख़रीदी थी और इस तरह दोनों के बीच में किसी तरह का वैध क़रार नहीं था।

प्रतिवादी ने यह भी कहा था कि इस मामले को इसलिए भी ख़ारिज कर दिया जाना चाहिए क्योंकि इसमें फ्लिपकार्ट को शामिल नहीं किया गया है।

पर इन दलीलों के बावजूद पीठ ने कहा, "यह साबित होता है कि इस पुस्तक पर कोई क़ीमत प्रिंटेड नहीं था। विपक्ष यह साबित करने में विफल रहा है कि छपाई के समय पुस्तक पर क़ीमत उसने क्यों नहीं छापा और उस पर स्टिकर लगा दिया। यह साबित करने का दायित्व दूसर पक्ष का है और वह ऐसा करने में विफल रहा है।"

इस तरह, प्रतिवादी को अपने सभी उत्पादों पर खुदरा मूल्य प्रिंट करने और उसे प्रकाशित करने का आदेश दिया गया और ₹12,500 मुआवज़े के रूप में देने को कहा।

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