बोर्डिंग पास जारी करने के बाद यात्री को बोर्डिंग गेट तक एस्कॉर्ट करने के लिए एयरलाइंस बाध्य नहीं : सुप्रीम कोर्ट

Update: 2020-01-28 14:54 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि चेक-इन काउंटर पर बोर्डिंग पास जारी करने के बाद बोर्डिंग गेट तक पहुंचने के लिए हर यात्री को एस्कॉर्ट (अनुरक्षण) करने का दायित्व एयरलाइंस पर नहीं है।

इंडिगो एयरलाइंस ने उपभोक्ता आयोग के आदेश को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था। आयोग ने एयरलाइंस को दो यात्रियों को मुआवजा देने का निर्देश दिया था, जिनकी अगरतला जाने वाली फ्लाइट छूट गई थी। राज्य उपभोक्ता आयोग, जिसके निर्णय को राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग ने बरकरार रखा था, उसने कहा था कि यह एयरलाइंस का दायित्व है कि वह बोर्डिंग पास जारी करने के बाद बोर्डिंग गेट बंद होने से पहले फ्लाइट में चढ़ने के लिए यात्रियों को सहायता प्रदान करे।

एयरलाइंस ने कहा कि यात्रियों को 'नो शो' के रूप में माना गया था, क्योंकि वे निर्धारित समय में बोर्डिंग गेट पर दिखाई नहीं दिए थे। यह भी प्रस्तुत किया गया था कि एयरलाइंस ने केवल किराए के अनुबंध के अनुसार काम किया था।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि

''बोर्डिंग पास जारी किए जाने के बाद यात्री से यह अपेक्षा की जाती है कि वह अपने आप सुरक्षा चैनल क्षेत्र और निर्दिष्ट बोर्डिंग गेट की तरफ आगे बढ़ जाए। चेकिंग काउंटर पर बोर्डिंग पास उसके लिए जारी किए जाने के बाद, बोर्डिंग गेट तक प्रत्येक यात्री को एस्कॉर्ट करने के लिए एयरलाइंस पर कोई संविदात्मक दायित्व नहीं है।''

अपील को स्वीकार करते हुए न्यायमूर्ति ए.एम खानविल्कर और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी की पीठ ने कहा,

"  राज्य आयोग ने यह टिप्पणी डॉक्टर बीकस रॉय व अन्य बनाम इंटरग्लोब एविएशन लिमिटेड (इंडिगो) मामले में की है, जिसमें आयोग ने माना कि बोर्डिंग पास जारी करने के बाद यात्रियों की मदद करना एयरलाइंस के अधिकारियों का काम है, ताकि वे सुरक्षा जांच पूरी होने के बाद समय पर फ्लाइट में सवार हो सकें।

यह एक व्यापक अवलोकन है। हम उस से सहमत नहीं हैं। हमने पहले ही कह दिया है कि चेक-इन काउंटर पर बोर्डिंग पास जारी करने के बाद, बोर्डिंग गेट तक प्रत्येक यात्री को एस्कॉर्ट (अनुरक्षण) करने के लिए एयरलाइंस पर कोई संविदात्मक दायित्व नहीं है।

यह एक बहुत लंबा दावा होगा। वास्तव में, किसी मामले में, यदि यात्री को बोर्डिंग गेट पर रिपोर्ट करने में कठिनाई या बाधा का सामना करना पड़ रहा है, तो यह अपेक्षा की जाती है कि वह उस समय संबंधित एयरलाइंस के ग्राउंड-स्टाफ की सहायता ले सकता है।

यदि इस तरह का अनुरोध किया जाता है, तो यह मानने का कोई कारण नहीं है कि संबंधित एयरलाइंस का ग्राउंड-स्टाफ यात्री को समय पर बोर्डिंग गेट तक पहुंचने में या रिपोर्ट करने के लिए उसकी सहायता नहीं करेंगे। हालांकि, हर मामले के आधार पर पूछताछ की जानी चाहिए।

वर्तमान मामले में यह सवाल नहीं उठता है, क्योंकि शिकायतकर्ता या प्रतिवादियों की ओर से दिए गए सबूतों में ऐसी कोई दलील नहीं दी गई है।" 

पीठ ने कहा कि यह यात्री का प्राथमिक दायित्व है, जिसे सुरक्षा जांच प्रक्रिया से गुजरने के लिए बोर्डिंग पास जारी किया गया है ,वह निर्धारित प्रस्थान समय से पहले (कम से कम 25 मिनट पहले) बोर्डिंग गेट पर पहुंच जाए।

फैसले में कहा गया है कि

''इसमें कोई संदेह नहीं है, यह कहा जाता है कि उपभोक्ता राजा है और कानून का उद्देश्य उपभोक्ता के अधिकारों और हितों की रक्षा और सुरक्षा करना है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वह अनुबंध के तहत दायित्वों से निकाले गए हैं, जो कि विवेक और उचित देखभाल के संबंध में बहुत कम बताता है।''

आयोग द्वारा यात्रियों की देखभाल के अधिकार के सिद्धांत के आह्वान के बारे में, पीठ ने कहा कि

" अपीलार्थी-एयरलाइंस के ग्राउंड-स्टाफ द्वारा उचित देखभाल का प्रश्न तब उठता है जब यात्री शारीरिक रूप से पूरी तरह उनके नियंत्रण में होते हैं जैसा कि एन.सचिदानंद (सुप्रा) के मामले में हुआ था। यह यात्रियों द्वारा विमान में चढ़ने के बाद या किसी दिए गए मामले में बोर्डिंग गेट पर उनके प्रवेश की सुविधा के दौरान परिचालन चरण में ही संभव हो सकता है।

वर्तमान मामले में, शिकायत में या प्रतिवादियों द्वारा पेश मौखिक साक्ष्य में कोई ऐसा दावा नहीं किया है कि उन्होंने (प्रतिवादियों) बोर्डिंग गेट पास जारी करने के बाद के बोर्डिंग गेट तक पहुंचने के लिए हवाई अड्डे पर अपीलकर्ता-एयरलाइंस के ग्राउंड-स्टाफ का मार्गदर्शन या सहायता लेने का कुछ प्रयास किया था और उन्हें ऐसी सहायता प्रदान नहीं की गई थी।"  

शिकायत में दिए गए तथ्यों को ध्यान में रखते हुए, न्यायालय ने कहा कि एयरलाइंस को निर्धारित समय से पहले बोर्डिंग गेट पर यात्रियों द्वारा रिपोर्ट न करने या न पहुंचने के लिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता है। अदालत ने सभी एयरलाइनों को यूनिफार्म प्रैक्टिस का पालन करने के लिए निर्देश जारी करने से भी परहेज किया। हालांकि, एमिकस द्वारा किए गए इस तरह के सुझाव पर सभी हितधारकों के साथ बातचीत करने के बाद सक्षम प्राधिकारी (डीजीसीए) द्वारा विचार करने के लिए छोड़ दिया गया।  


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