"सार्वजनिक व्यवस्था में कोई गड़बड़ी नहीं, जुआ मामलों में PASA कैसे लगाया गया?": गुजरात हाईकोर्ट ने हिरासत आदेश रद्द किया

Update: 2021-08-15 09:09 GMT

इस बात पर जोर देते हुए कि किसी भी तरह की कल्पना से यह नहीं माना जा सकता है कि जुआ की घटनाएं सार्वजनिक व्यवस्था को बिगाड़ सकती हैं, गुजरात हाईकोर्ट ने हाल ही में एकल न्यायाधीश के फैसले और आदेश को रद्द कर दिया तथा जुआ अधिनियम के तहत अशेषभाई दुधिया के खिलाफ दर्ज दो मामलों के आधार पर पारित हिरासत आदेश को रद्द कर दिया।

हाईकोर्ट के एकल न्यायाधीश ने पहले एहतियातन हिरासत के आदेश को चुनौती देने वाली रिट याचिका को खारिज कर दिया था, और इसलिए, मुख्य न्यायाधीश विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति बीरेन वैष्णव की खंडपीठ के समक्ष लेटर्स पेटेंट अपील दायर की गयी थी।

कोर्ट के समक्ष प्रस्तुतियाँ

अपीलकर्ता दुधिया के खिलाफ दर्ज दो मामलों के आधार पर, संबंधित हिरासत आदेश पारित किया गया था [पहला जुआ अधिनियम की धारा 4 और 5 के तहत मामला और दूसरा जुआ अधिनियम की धारा 4 और 5, भारतीय दंड संहिता की धारा 269 और आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 51 (बी) के तहत अपराध] ।

यह दलील दी गयी थी कि एहतियातन हिरासत कानून के तहत अधिकार क्षेत्र का इस्तेमाल पूरी तरह से अनुचित था, क्योंकि सार्वजनिक आदेश में कोई बाधा नहीं थी। यह भी दलील दी गयी थी कि अपीलकर्ता मार्च 2021 से हिरासत में था।

दूसरी ओर, सहायक सरकारी वकील ने दलील दी कि हिरासत आदेश पूरी तरह से उचित था और अपीलकर्ता के खिलाफ जुआ रोकथाम अधिनियम के तहत विभिन्न पुलिस स्टेशनों में कुल नौ अपराध दर्ज किए गए थे और इसलिए, अपीलकर्ता को एक आदतन अपराधी के रूप में विचार किया जाना था क्योंकि यह असामाजिक गतिविधि निरोधक कानून (PASA) अधिनियम के तहत `कॉमन गेमिंग हाउस कीपर' की धारा 2 (बी बी) की परिभाषा के अंतर्गत आता है।

न्यायालय की टिप्पणियां

कोर्ट ने शुरू में कहा कि एहतियातन हिरासत कानून को किसी ऐसे व्यक्ति को हिरासत में लेने या गिरफ्तार करने की सामान्य आपराधिक कार्यवाही के रूप में नहीं माना जाना चाहिए, जिसके बारे में कहा जाता है कि उसने अपराध किया है, जहां प्रक्रिया और उपाय उपलब्ध है।

इसलिए, न्यायालय ने कहा कि एहतियातन हिरासत कानून का कड़ाई से सांविधिक और कानून के बिंदुओं के अनुसार पालन किया जाना चाहिए।

मौजूदा मामले में हिरासत आदेश न टिकने की बात करते हुए कोर्ट ने कहा, "मौजूदा मामले में हम किसी भी प्रकार से कल्पना नहीं कर सकते कि इस तरह की घटनाएं सार्वजनिक व्यवस्था को बिगाड़ सकती हैं।"

केस का शीर्षक - अशेषभाई इंद्रवदनभाई दुधिया (गांची) बनाम गुजरात सरकार और 2 अन्य

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