यूपी 'धर्मांतरण विरोधी' कानून का कोई अनुपालन नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 'विवाहित' अंतर-धार्मिक जोड़े की सुरक्षा याचिका खारिज की

Update: 2023-09-02 07:51 GMT

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को अंतर-धार्मिक जोड़े (जो दूर के ममेरे भाई-बहन हैं) द्वारा दायर सुरक्षा याचिका खारिज कर दी। उक्त जोड़े ने कथित तौर पर हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार एक-दूसरे से शादी की है।

कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता नं. 1/लड़की, जो जन्म से मुस्लिम है, उसने खुद को हिंदू धर्म में परिवर्तित करने से पहले यूपी गैरकानूनी धर्म परिवर्तन निषेध अधिनियम 2021 (UP Prohibition of Unlawful Conversion of Religion Act 2021) की धारा 8 और 9 का पालन नहीं किया। इस मामले में जबकि याचिकाकर्ता नंबर 1 मुस्लिम धार्मिक समुदाय से है, याचिकाकर्ता नंबर 2/लड़का हिंदू है।

जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा की पीठ ने कहा,

"याचिकाकर्ता नंबर 1/लड़की द्वारा याचिकाकर्ता नंबर 2/लड़के के साथ हिंदू धर्म के तहत विवाह करने के बयान को एक्ट की धारा 8 और 9 के अनुपालन के अभाव में इस स्तर पर प्रभावी नहीं किया जा सकता है। इसलिए याचिकाकर्ताओं द्वारा मांगी गई राहत नहीं दी जा सकती है।“

संदर्भ के लिए एक्ट की धारा 8 उस व्यक्ति के लिए जो अपना धर्म बदलाना चाहता है, यह अनिवार्य करती है कि उसे कम से कम साठ दिन पहले जिला मजिस्ट्रेट या अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट को घोषणा पत्र देना होगा कि धर्म परिवर्तन करने का निर्णय उसका अपना है। वहीं एक्ट की धारा 9 धर्म परिवर्तन के बाद की घोषणा से संबंधित है।

मामला संक्षेप में

अंतर-धार्मिक जोड़े/याचिकाकर्ताओं ने यह कहते हुए सुरक्षा याचिका दायर की कि वे वयस्क हो गए हैं और लिव-इन रिलेशनशिप में एक-दूसरे के साथ खुशी से रह रहे हैं। उन्होंने आर्य समाज मंदिर में हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार अपनी शादी की है, जिसके लिए विवाह प्रमाण पत्र जारी किया गया है।

यह कहा गया कि याचिकाकर्ता दूर के ममेरे भाई-बहन हैं, भले ही याचिकाकर्ता नंबर 1/लड़की जन्म से हिंदू है और याचिकाकर्ता नंबर 2/लड़का की मां और चाची के रूप में अलग-अलग समुदायों से होने पर भी लड़की की मां के ननिहाल पक्ष से है।

आगे यह भी प्रस्तुत किया गया कि लड़की ने 30 जून, 2023 को जिला मजिस्ट्रेट, मेरठ और सहारनपुर के समक्ष आवेदन दिया। साथ ही न्यूज पेपर में यह प्रकाशित कराया कि उसने अपना नाम और धर्म बदल लिया है। हालांकि, उसके पिता इस शांतिपूर्ण लिव-इन रिलेशनशिप में हस्तक्षेप कर रहे हैं।

उनकी सुरक्षा याचिका का विरोध करते हुए राज्य के सरकारी वकील ने लड़की के धर्मांतरण का जिक्र करते हुए कहा कि उनका विवाह यूपी विरोधी धर्मांतरण कानून में निहित विधायी निषेध के दायरे में आएगा। यह तर्क दिया गया कि एक्ट की धारा 8 और 9 के अनुपालन के बिना किसी भी याचिकाकर्ता का भविष्य में दूसरे धर्म में परिवर्तन कानून के अनुसार नहीं होगा।

इस पृष्ठभूमि में यह देखते हुए कि याचिकाकर्ता दूर के चचेरे भाई-बहन हैं और इसे प्रथम दृष्टया पुन: धर्मांतरण का मामला नहीं माना जा सकता, न्यायालय ने एक्ट की धारा 8 और 9 के अनुपालन के अभाव में याचिका खारिज कर दी।

हालांकि, न्यायालय ने याचिकाकर्ताओं के लिए एक्ट की धारा 8 और 9 के अनुपालन के लिए जिला मजिस्ट्रेट से संपर्क करने और एक्ट के तहत आवश्यक आदेश प्राप्त करने का अधिकार खुला रखा। अदालत ने स्पष्ट किया कि यदि याचिकाकर्ता जिला मजिस्ट्रेट से आवश्यक मंजूरी मांगते हैं तो वे अदालत के समक्ष नई याचिका दायर करने के लिए स्वतंत्र होंगे।

केस टाइटल- श्रद्धा @ जन्नत और अन्य बनाम यूपी राज्य और 5 अन्य [WRIT - C No. - 23672/2023]

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