"नए आईटी नियमों का अनुपालन नहीं करने पर कोई कठोर कार्रवाई न की जाए": केरल हाईकोर्ट ने एनबीए की याचिका पर नोटिस जारी किया
केरल हाईकोर्ट ने शुक्रवार को न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (एनबीए) की उस याचिका पर नोटिस जारी किया जिसमें नए आईटी नियमों को इस आधार पर चुनौती दी गई थी कि यह नियम सरकारी अधिकारियों को मीडिया के बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को अनुचित रूप से प्रतिबंधित करने का अधिकार देता है।
जस्टिस पीबी सुरेश कुमार ने भी केंद्र सरकार को नए आईटी नियमों के तहत एनबीए के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई करने से रोक दिया है।
एसोसिएशन की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने प्रस्तुत किया कि उच्च न्यायालय ने लाइव लॉ मीडिया के मामले में एक आदेश पारित किया था जिसमें सरकार को आईटी नियमों के आधार पर कोई भी कठोर कार्रवाई करने से रोक दिया गया था और इसी तरह के आदेश के लिए दबाव डाला गया।
न्यायमूर्ति सुरेश कुमार ने इस दलील को स्वीकार करते हुए निम्नलिखित आदेश पारित किया।
बेंच ने कहा कि,
"डब्ल्यूपीसी नंबर 6272/2021 (लाइव लॉ मीडिया प्राइवेट लिमिटेड बनाम भारत संघ) में अंतरिम आदेश के आलोक में प्रतिवादियों को नियमों में निहित प्रावधानों का पालन न करने के लिए याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं करनी चाहिए।"
एनबीए ने तर्क दिया कि सूचना प्रौद्योगिकी के (इंटरमीडियरी और डिजिटल मीडिया आचार संहिता के लिए दिशानिर्देश) नियम [ Information Technology (Guidelines For Intermediaries And Digital Media Ethics Code)], 2021 भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 (कानून के समक्ष समानता) और 19(1)(जी) का उल्लंघन करने के अलावा सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के विपरीत है।
याचिका में कहा गया है कि चुनौती आईटी नियमों के भाग III (डिजिटल मीडिया के संबंध में आचार संहिता और प्रक्रिया और सुरक्षा उपाय) के लिए है क्योंकि यह डिजिटल समाचार मीडिया की सामग्री को विनियमित करने के लिए कार्यकारी को निरंकुश, बेलगाम और अत्यधिक अधिकार देने वाली निगरानी तंत्र बनाता है।
याचिका में कहा गया है कि शिकायत निवारण तंत्र का निर्माण और प्रत्यायोजित शक्तियों का मीडिया की सामग्री पर द्रुतशीतन प्रभाव पड़ता है। रिट (याचिका) में यह भी कहा गया है कि इस तरह की संरचना बनाकर कार्यपालिका ने न्यायिक शक्ति में प्रवेश किया है और खुद को शक्तियों के साथ निहित किया है। विशेष रूप से न्यायपालिका के लिए आरक्षित और इस तरह की अधिकार क्षेत्र के बिना शक्तियों का प्रयोग करने के लिए किया गया है।
याचिका में कहा गया कि याचिका में नए नियमों को चुनौती दी गई है क्योंकि आईटी अधिनियम में किसी भी कार्यक्रम की सामग्री से निपटने के लिए कोई प्रावधान नहीं है और इसलिए नियम मूल अधिनियम के विपरीत हैं।
याचिका में कहा गया है कि नियम अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करते हैं क्योंकि नियमों में न तो कोई समानता है और न ही इटरमीडियरी के रूप में वर्गीकरण का कोई वैध 'डिजिटल समाचार मीडिया' के साथ समान किया गया है। आगे कहा कि नियमों का परिशिष्ट - आचार संहिता प्रोग्राम कोड को डिजिटल समाचार मीडिया पर लागू करता है।
याचिका में कहा गया है कि कार्यक्रम संहिता में सामग्री के संबंध में अस्पष्ट शब्द शामिल हैं जैसे "अच्छा स्वाद", "बदमाश रवैया" इत्यादि और इसलिए सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के अनुरूप नहीं है।
कई डिजिटल समाचार मीडिया प्लेटफॉर्म पहले ही विभिन्न उच्च न्यायालयों में 2021 आईटी नियमों को चुनौती दे चुके हैं और यहां तक कि केंद्र ने भी इस तरह की सभी याचिकाओं को अपने पास स्थानांतरित करने की मांग करते हुए सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।
याचिका में कहा गया है कि नए आईटी नियम ऑनलाइन मीडिया पोर्टल और प्रकाशकों, ओवर-द-टॉप (ओटीटी) प्लेटफॉर्म और सोशल मीडिया इटरमीडियरी के कामकाज को नियंत्रित करते हैं।
याचिका में कहा गया है कि नए नियमों के अनुसार एक महत्वपूर्ण सोशल मीडिया इंटरमीडियरी के पास अन्य सोशल मीडिया इंटरमीडियरी की तुलना में कुछ अतिरिक्त दायित्व होंगे।