निमिषा प्रिया केस| यमन में मौत की सजा के खिलाफ अपील करेंगे, पीड़ित परिवार के साथ बातचीत में हिस्सा नहीं लेंगे: दिल्ली हाईकोर्ट में केंद्र सरकार ने कहा

Update: 2022-03-15 14:13 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट में केंद्र सरकार ने मंगलवार को कहा कि वह अगले अपीलीय मंच के समक्ष अपील करने के लिए उचित कदम उठाएगी। यह अपील भारतीय महिला निमिषा प्रिया को दी गई मौत की सजा को चुनौती देती है। प्रिया को यमन की एक अदालत ने 2017 में स्थानीय नागरिक की हत्या के लिए दोषी ठहराया था।

जस्टिस यशवंत वर्मा को केंद्र की ओर से पेश हुए अनुराग अहलूवालिया ने अवगत कराया कि भारत सरकार यमन में लागू कानून के अनुसार अगले अपीलीय मंच के समक्ष अपील करने के लिए सभी सक्रिय कदम उठाएगी।

उन्होंने अदालत को यह भी बताया कि यमन में मौजूद काउंसिलर के सहयोग का विस्तार करेंगे और विवाद को निपटाने के अपने कथित उद्देश्य को आगे बढ़ाने के लिए पीड़ित परिवार के साथ बातचीत करने के इच्छुक व्यक्तियों को यात्रा की सुविधा प्रदान करेंगे।

केंद्र ने अदालत को यह भी बताया कि वह प्रिया को जेल के अंदर उसके दैनिक खर्चों के लिए विविध राशि प्रदान कर रही है।

हालांकि, अहलूवालिया ने स्पष्ट रूप से कहा कि जहां तक ब्लड मनी ​​(हत्या के एवज में दिया जाना वाला धन) के भुगतान के संबंध में प्रार्थना का संबंध है, भारत सरकार केवल यात्रा की सुविधा प्रदान करेगी और स्वयं वार्ता में भाग नहीं लेगी।

अदालत ने शुरुआत में नोट किया,

"यमन में अगले अपीलीय न्यायालय में अपील का एक रास्ता अभी भी खुला है। जहां तक ​​पहली राहत का सवाल है तो कोर्ट नोट करता है कि यह संभवत: केंद्र के प्रतिवादी को किसी भी हस्तक्षेप या वार्ता के लिए पक्ष होने का आदेश नहीं दे सकता, जोकि भारतीय परिवार राष्ट्रीय पहल करने का प्रस्ताव करता है।"

न्यायालय ने यह भी नोट किया कि जहां तक ​​भारत सरकार का संबंध है, यह केवल याचिकाकर्ता को यमन में प्रचलित कानूनों के तहत न्यायिक उपचार को आगे बढ़ाने में सुविधा प्रदान करने के लिए ही कहा जा सकता।

तदनुसार, न्यायालय ने संबंधित मंत्रालय से दोषसिद्धि के आदेश के खिलाफ आगे की अपील के उपाय को विधिवत रूप से आगे बढ़ाने का अनुरोध किया।

इसमें कहा गया,

"अदालत विदेश मंत्रालय से अनुरोध करती है कि वह याचिकाकर्ता की यात्रा की सुविधा के लिए संबंधित काउंसिलर से संपर्क करे और जरूरत पड़ने पर दुभाषियों की मदद भी मुहैया कराए।"

तद्नुसार याचिका का निस्तारण किया गया।

याचिका में केंद्र सरकार को पीड़ित परिवार के साथ बातचीत की सुविधा देने और यमन कानून के अनुसार ब्लड मनी देकर प्रिया को मौत की सजा से बचाने का निर्देश देने की मांग की गई है।

अधिवक्ता सुभाष चंद्रन के.आर. ने उक्त याचिका 'निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल बचाओ' के अध्यक्ष के माध्यम से दायर की गई, जो अनिवासी केरलवासियों का गठित एक सामूहिक संगठन है। यह संगठन विभिन्न देशों में और भारत के विभिन्न हिस्सों में काम करता है। याचिकाकर्ता संगठन ने निमिषा प्रिया की न्याय तक पहुंच सुनिश्चित करने और ब्लड मनी के लिए दान के माध्यम से धन जुटाने की भी मांग की, यदि पीड़ित का परिवार उसे क्षमा करने पर सहमत हो जाता है।

सात मार्च, 2022 को यमन की एक अपीलीय अदालत ने निमिशा प्रिया द्वारा दायर अपील को खारिज कर दिया। प्रिया को वर्ष 2017 में तलाल अब्दो महदी की हत्या के लिए मौत की सजा सुनाई गई थी। निमिषा ने कथित तौर पर अपने पासपोर्ट को पुनः प्राप्त करने के लिए उसे सीडेटिव का इंजेक्शन लगाया। निमिषा ने महदी द्वारा कथित तौर पर गाली-गलौज और प्रताड़ना झेली थी।

गृह मंत्रालय और भारतीय दूतावास सना, यमन को पक्षकार प्रतिवादी के रूप में शामिल करते हुए याचिकाकर्ता ने मांग की कि उत्तरदाताओं को राजनयिक हस्तक्षेप की सुविधा प्रदान करनी चाहिए और साथ ही निमिषा प्रिया की ओर से पीड़िता के परिवार के साथ बातचीत की सुविधा प्रदान करनी चाहिए ताकि ब्लड मनी देकर उसकी जान बचाई जा सके।

आगे प्रार्थना की गई कि यमन के कानून के अनुसार निमिषा प्रिया के जीवन को बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट/सर्वोच्च न्यायिक परिषद के समक्ष औपचारिक अपील दायर करने के लिए तत्काल कदम उठाए जाएं।

केस टाइटल: सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल के अध्यक्ष बनाम भारत संघ और अन्य के माध्यम से।

साइटेशन: 2022 लाइव लॉ (दिल्ली) 204

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