राजमार्ग निर्माण के लिए कौन सी भूमि उपयुक्त होगी, यह तय करने के लिए NHAI सबसे अच्छा जज है: इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले हफ्ते कहा कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) यह तय करने के लिए सबसे अच्छा जज है कि राजमार्गों के निर्माण के लिए कौन सी भूमि उपयुक्त होगी। कोई भी परियोजना किसी व्यक्ति के ऐसे इशारे पर नहीं रोकी जा सकती, जो यह सोचता है कि उसकी जमीन राष्ट्रीय राजमार्ग के चौड़ीकरण के लिए महत्वपूर्ण नहीं है।
जस्टिस सुनीता अग्रवाल और जस्टिस ज्योत्सना शर्मा की पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ताओं [श्याम सिंह और अन्य] द्वारा दायर रिट याचिका पर विचार करते हुए प्रार्थना की गई कि राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण के लिए उनकी भूमि का अधिग्रहण नहीं किया जाना चाहिए।
याचिकाकर्ता अनिवार्य रूप से परमादेश की प्रकृति में रिट की मांग कर रहे थे, जिसमें संबंधित प्रतिवादियों को राष्ट्रीय राजमार्ग को चौड़ा करने के उद्देश्य से याचिकाकर्ताओं की आवासीय भूमि (आवासीय मकान और दुकानें इस भूमि पर बनाई गई हैं) का अधिग्रहण नहीं करने का आदेश दिया गया है।
उनका प्राथमिक तर्क यह है कि याचिकाकर्ताओं की आवासीय संपत्ति का राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण नंबर 731 (पलिया-शाहजहांपुर-हरदोई-लखनऊ) के विस्तार के लिए कोई महत्व नहीं है।
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की ओर से पेश एडवोकेट प्रांजल मेहरोत्रा ने रिट याचिका का विरोध किया। उन्होंने तर्क दिया कि वर्ष 2020 में भूमि का कब्जा लेने वाले अवार्ड के प्रकाशन के साथ ही विचाराधीन भूमि का अधिग्रहण पूरा हो गया और याचिकाकर्ताओं ने इसे चुनौती नहीं दी।
इस निवेदन को दृष्टिगत रखते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मामले के रिकॉर्ड को देखने के बाद निम्नलिखित निर्देशों के साथ रिट याचिका खारिज कर दी:-
"रिट याचिका में तर्क यह है कि याचिकाकर्ताओं से संबंधित गाटा नंबर 1 का मौजूदा राजमार्ग के लिए कोई महत्व नहीं है, यह पूरी तरह से गलत है, क्योंकि याचिकाकर्ताओं द्वारा कोई दुर्भावना नहीं रखी गई। राजमार्गों के निर्माण के लिए कौन सी भूमि उपयुक्त होगी, इसके लिए राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण निर्णय लेने के लिए सबसे अच्छा न्यायाधीश है। किसी व्यक्ति के कहने पर कोई भी परियोजना नहीं रोकी जा सकती, जो यह सोचता है कि उसकी भूमि राष्ट्रीय राजमार्ग के चौड़ीकरण के लिए महत्वपूर्ण नहीं है। उपरोक्त बातों को ध्यान में रखते हुए हम रिट याचिका में की गई प्रार्थना में कोई योग्यता नहीं पाते।"
केस टाइटल- श्याम सिंह और अन्य बनाम यू.पी. और 4 अन्य [रिट - सी नं.- 17591/2022]
केस साइटेशन: लाइव लॉ (एबी) 428/2022
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