40 साल से हिरासत में बंद नेपाली व्यक्ति का मामला : स्वतः संज्ञान लेकर क्या अभियोजन समाप्त किया जा सकता है? कलकत्ता हाईकोर्ट करेगा जांच

Update: 2021-03-13 07:52 GMT

कलकत्ता हाईकोर्ट इस बात की जांच करेगा कि 40 साल से जेल में बंद एक नेपाली मूल के व्यक्ति के मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए उसके खिलाफ अभियोजन को समाप्त किया जा सकता है।

मुख्य न्यायाधीश थोथाथिल बी. राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध रॉय की पीठ नेपाली मूल के आरोपी दीपक जोशी के मामले की सुनवाई कर रही थी। दीपक को 12 मई 1980 को गिरफ्तार किया गया था और इस प्रकार वह पहले ही 40 से अधिक वर्षों की हिरासत में बंद रह चुका है।

पृष्ठभूमि

अदालत ने नेपाल के काउंलेट जनरल ने कहा कि वह लगभग 40 साल से हिरासत में बंद है। उन्होंने इस संबंध में कोर्ट के समक्ष एक हलफनामा दायर किया।

यह भी सामने आया आरोपी की मानसिक स्थिति के संबंध में एक रिपोर्ट आनी शेष है, जिसमें यह सवाल उठाया गया है कि क्या वह अपराध करने के आरोप में मुकदमे का सामना करने के लिए उचित मानसिक हालत में है।

एसएलएसए की रिपोर्ट और हाईकोर्ट के रिकॉर्ड पर उपलब्ध कराई गई सामग्री के आधार पर नेपाल के काउंसलेट जनरल के पास उपलब्ध सामग्री से संबंधित कागजात से संकेत मिलता है कि जोशी की आयु 9-10 वर्ष से अधिक के बच्चे की मानसिकता हालात के समान है।

कोर्ट का अवलोकन

यह देखते हुए कि वह पहले ही 40 से अधिक वर्ष जेल में बिता चुके हैं, अदालत ने टिप्पणी की,

"यहां तक ​​कि अगर किसी मुकदमें में आजीवन कारावास की सजा होती है, जो केवल तब हो सकता है जब अभियुक्त आरोपी पाया जा चुका है, जो अपनी मानसिक स्थिति के बावजूद ट्रायल का सामना कर सकता है, जो हमारे सामने प्रस्तुत सामग्री में बड़ा सवाल है।"

इसके अलावा, कोर्ट ने कहा कि यह जांचने की आवश्यकता होगी कि क्या न्याय के सिरे की रक्षा करने के लिए उसके खिलाफ अभियोजन जारी रखना आवश्यक है।

कोर्ट ने आगे कहा,

"यह देखना होगा कि न्याय के हित में और न्याय के सिरों को सुरक्षित रखने के लिए कि उक्त अभियोजन को अनुच्छेद 226 और 227 के साथ सहपठित दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 482 के तहत भारतीय संविधान की शक्ति के प्रयोग में बड़ी न्यायालय के न्यायिक आदेश के माध्यम से इस मुकदमे की कार्यवाही को समाप्त किया जाएगा।"

अंत में, न्यायालय ने एसएलएसए, हाईकोर्ट प्रशासन, नेपाल काउंसलेट जनरल के लिए उपस्थित होने वाले अधिवक्ता और साथ ही संबंधित व्यक्ति के रिश्तेदार से इस संबंध में उचित कानूनी पहलुओं के साथ खुद को प्रस्तुत करने और 15 मार्च, 2021 को अगली सुनवाई के लिए दोपहर 2 बजे पेश होने का आदेश दिया।

केस का शीर्षक - कोर्ट ऑन द मोशन: री: यूटीपी दीपक जोशी, दमदम सेंट्रल करेक्शनल होम में दर्ज [W.P.A. (पी) 27 ऑफ 2021]

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