[NEET] एडमिशन स्वीकृत सीमा या समय सारिणी से परे नहीं हो सकता: मद्रास हाईकोर्ट
मद्रास हाईकोर्ट ने एमबीबीएस कोर्स में प्रवेश के संदर्भ में दोहराया है कि कोर्स में प्रवेश संस्थान की वार्षिक प्रवेश क्षमता के अनुरूप होना चाहिए। अदालत ने यह भी कहा कि प्रवेश पूरा करने के लिए सुप्रीम कोर्ट की ओर से निर्धारित समय सीमा से परे प्रवेश नहीं दिया जा सकता है।
कोर्ट ने कहा,
"... यह स्पष्ट है कि न तो छात्रों को स्वीकृत सीमा से अधिक प्रवेश की अनुमति दी जा सकती है और न ही मेडिकल कॉलेजों के लिए प्रवेश पूरा करने के लिए तय समय सारिणी बढ़ाई जा सकती है ... मेडिकल कॉलेज में छात्रों के प्रवेश को सुव्यवस्थित करने के लिए बने नियमों को चिकित्सीय शिक्षा के उच्च मानकों को उच्च मानकों को मेंटेन करना चाहिए।"
जस्टिस अब्दुल कुद्दोज की पीठ रक्षा कर्मियों के बच्चों द्वारा रक्षा कर्मियों के कोटे के तहत एमबीबीएस पाठ्यक्रम में प्रवेश की मांग संबंधी याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।
याचिकाकर्ताओं की दलील थी कि प्रतिवादी 30.06.1979 के सरकारी आदेश को लागू करने में विफल रहे, जिसमें इस प्रकार के आरक्षण संबंधी निर्देश दिए गए थे और इस प्रकार याचिकाकर्ताओं को प्रवेश से वंचित कर दिया गया।
एक अन्य याचिका में तमिलनाडु सरकार के मेडिकल/डेंटल कॉलेजों में वर्ष 2021-2022 के लिए एमबीबीएस/बीडीएस डिग्री में प्रवेश के लिए हाल ही में जारी प्रॉस्पेक्टस के साथ-साथ 10.01.2022 को दिए गए सरकारी आदेश को इस आधार पर चुनौती दी गई कि उन्होंने पहले के सरकारी आदेश को लागू नहीं किया।
अदालत ने कहा कि 30.06.1979 का सरकारी आदेश याचिकाकर्ताओं पर लागू नहीं थी क्योंकि उक्त अधिसूचना केवल पीयूसी और बीएससी छात्रों पर लागू थी जो उस समय शिक्षा की प्रचलित धारा थी।
इसके अलावा याचिकाकर्ताओं ने आरक्षण के लिए विशेष कोटे के लिए आवेदन नहीं किया था, बल्कि राज्य कोटा के तहत आवेदन किया था जो सभी श्रेणियों के पूर्व सैनिकों के आरक्षण का प्रावधान करता है। वे आवंटन प्राप्त करने के लिए भी इस श्रेणी में शीर्ष रैंक की सूची में नहीं आए थे।
अदालत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कई फैसलों में दोहराया है कि विनियमों/अधिसूचनाओं के तहत निर्धारित प्रवेश के लिए समय सारिणी का सभी संबंधितों द्वारा कड़ाई से पालन किया जाएगा क्योंकि निर्धारित समय सारिणी में कानून का बल है।
सुप्रीम कोर्ट ने शैक्षणिक वर्ष 2021-2022 के लिए 28.04.2022 की समय सीमा तय की थी। अदालत ने कहा था कि इस समय के बाद याचिकाकर्ताओं को सीट आवंटित करने का कोई सवाल ही नहीं था।
कोर्ट ने कहा,
जब माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा 28.04.2022 के रूप में समय सीमा निर्धारित की गई है तो इस स्तर पर संबंधित याचिकाकर्ताओं को सीट आवंटित करने का प्रश्न ही नहीं उठता। इसलिए अनुरोध को अनिवार्य रूप से अस्वीकार कर दिया जाना चाहिए।
अदालत ने इस प्रकार राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के रुख से सहमति व्यक्त की कि प्रवेश की समय सीमा को किसी भी तरह से नहीं बढ़ाया जा सकता है और यह कि कोई भी प्रवेश निश्चित वार्षिक संख्या से परे नहीं किया जा सकता है।
कोर्ट ने दूसरी याचिका पर कहा कि चूंकि 1979 का सरकारी आदेश वर्तमान याचिकाकर्ताओं पर लागू नहीं होती इसलिए 2022 सरकारी आदेश को रद्द करने की प्रार्थना स्वीकार्य नहीं है। इस प्रकार, याचिकाओं में कोई योग्यता नहीं पाते हुए, अदालत ने उन्हें खारिज कर दिया।
केस टाइटल: ए प्रियंका और अन्य बनाम प्रमुख सचिव और अन्य
केस नंबर: WP No 3078 & 5204 of 2022
साइटेशन: 2022 लाइव लॉ (Mad) 365