एनडीपीएस एक्ट : कोई प्रतिबंधित पदार्थ व्यावसायिक मात्रा का है या नहीं, इसके निर्धारण के लिए एलएसडी ले जाने वाले ब्लॉटिंग पेपर के वजन पर क्या विचार किया जाना चाहिए? : बॉम्बे हाईकोर्ट फैसला करेगा

Update: 2021-06-08 10:29 GMT

बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत मामले में मादक पदार्थों से जुड़े पहलुओं की जांच कर रहे नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) ने बॉम्बे हाईकोर्ट से यह निर्धारित करने का अनुरोध किया है कि बरामद किया गया एलएसडी ड्रग (लाइसर्जिक एसिड डायइथाइलामाइड) व्यावसायिक मात्रा का है या छोटी मात्रा का, इसके निर्धारण के लिए क्या उसे ले जाने वाले ब्लॉटिंग पेपर (सोख्ता कागज) के वजन को भी शामिल किया जा सकता है।

एनसीबी ने कहा है कि चूंकि एनडीपीएस एक्ट ड्रग के स्ट्रीट वेट पर लागू होता है, न कि विशुद्ध रूप से एक्टिव कंपोनेंट वेट पर, इसलिए ड्रग्स जिस भी रूप में बेचा जाता है उसपर विचार किया जाना चाहिए।

जांच एजेंसी ने ट्रायल कोर्ट के उस आदेश के खिलाफ अपील में यह कानूनी प्रश्न उठाया है, जिसमें आरोपी अनुज केशवानी से कथित तौर पर बरामद 31 एलएसडी ब्लॉट्स को गुजरात के गांधीनगर स्थित फॉरेंसिक साइंस लेबोरेट्री में पुन: जांच के लिए भेजने का निर्देश दिया गया था।

एनडीपीएस एक्ट के तहत आने वाले मामलों में मादक पदार्थों की मात्रा का काफी महत्व होता है, क्योंकि व्यवसाय के लिए मादक पदार्थों की मात्रा को संबंधित कानून के तहत गंभीर अपराध माना जाता है।

एनडीपीएस से संबंधित विशेष अदालत ने 30 अप्रैल के अपने आदेश में निर्देश दिया था कि एफएसएल ब्लॉटिंग पेपर के बिना ड्रग्स के वजन का उल्लेख करे और यह भी बताये कि उसकी रिपोर्ट में उल्लेखित 0.62 ग्राम की मात्रा में ब्लॉटिंग पेपर का वजन शामिल है या नहीं। एनडीपीएस एक्ट के तहत 0.1 ग्राम एलएसडी को वाणिज्यिक मात्रा माना जाता है।

गत सोमवार को न्यायमूर्ति ए एस गडकरी ने एनसीबी के वकील श्रीराम शिरसत तथा अनुज केश्वानी की ओर से एडवोकेट तारक सईद और गायत्री गोखले की मौजूदगी रिकॉर्ड की।

शिरसत ने यह कहते हुए कुछ समय के लिए सुनवाई स्थगित करने की मांग की, क्योंकि अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल कानून के इस बिंदु पर कोर्ट के समक्ष अपनी बात रखना चाहते हैं।

उन्होंने कहा कि एनसीबी 'हीरा सिंह एवं अन्य और भारत सरकार एवं अन्य' के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भरोसा जता रहा है, जिसमें बेंच ने कहा था कि यदि कोई मादक पदार्थ किसी न्यूट्रल सब्सटांस में मिलाया गया है तो संबंधित पदार्थ के सम्पूर्ण वजन को इस बात पर विचार के लिए ध्यान में रखा जाना चाहिए कि क्या यह मात्रा 'मामूली मात्रा' है या 'वाणिज्यिक मात्रा।'

सईद ने दलील दी कि वह 'हितेन हेमंत मल्होत्रा बनाम महाराष्ट्र सरकार' मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट के 2020 के फैसले पर भरोसा जतायेंगे। यहां बेंच ने व्यवस्था दी कि ब्लॉटिंग पेपर को एलएसडी ड्रग की वास्तविक मात्रा के निर्धारण के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। कोर्ट ने यहां हीरा सिंह के फैसले पर विचार किया है।

न्यायमूर्ति एस के शिंदे ने कहा,

"मेरे विचार में, यद्यपि पेपर के टुकड़े को निगलने के बाद ड्रग रिलीज होता है, लेकिन चूंकि पेपर में केवल ड्रग होता है, जिसे उपभोग की सुविधाएं होती है, इसलिए सम्पूर्ण तौर पर एलएसडी ड्रॉप्स के साथ पेपर न तो सेक्शन राने 8/12 बीए-352-2020, सोमवार 7.12.2020 दो(xx) के अर्थ के दायरे में 'प्रीपेरेशन' और न ही एनडीपीएस एक्ट के तहत 'मिक्सचर' की श्रेणी में आता है।"

सुनवाई के दौरान, सईद ने दलील दी कि कोर्ट एनसीबी के अनुरोध पर सुनवाई स्थगित कर सकता है, लेकिन वह उन्हें नमूने को फिर से जांच के लिए भेजने का निर्देश दे, क्योंकि इस प्रक्रिया में समय लगेगा तथा केशवानी को तब तक जेल में ही रहना होगा।

शिरसत ने हालांकि इस अनुरोध का विरोध किया और मामले की सुनवाई नौ जून तक के लिए स्थगित हो गयी।

एनसीबी के अनुसार उन्होंने केशवानी के घर से 585 ग्राम हशीश, 270.1 ग्राम मारिजुआना, 3.5 ग्राम टीएचसी और 0.62 ग्राम एलएसडी बरामद किये थे।

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