2025 के चौथी राष्ट्रीय लोक अदालत में कुल 2.59 करोड़ केस निस्तारित, ₹7,747 करोड़ का निपटान

Update: 2025-12-13 15:59 GMT

राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) ने 13 दिसंबर 2025 को वर्ष 2025 की चौथी राष्ट्रीय लोक अदालत का सफलतापूर्वक आयोजन किया। यह आयोजन देश के 26 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों में उच्च न्यायालयों, जिला न्यायालयों, विभिन्न अधिकरणों, उपभोक्ता मंचों तथा स्थायी लोक अदालतों में एक साथ संपन्न हुआ।

इस राष्ट्रीय पहल का मार्गदर्शन भारत के मुख्य न्यायाधीश एवं नालसा के संरक्षक-प्रमुख जस्टिस सूर्यकांत तथा NALSA के कार्यकारी अध्यक्ष एवं सर्वोच्च न्यायालय के जस्टिस विक्रम नाथ द्वारा किया गया।

राष्ट्रीय लोक अदालत के अंतर्गत राजस्थान उच्च न्यायालय में 19 दिसंबर 2025 को तथा राजस्थान के जिला न्यायालयों, अधिकरणों एवं राजस्व न्यायालयों में 21 दिसंबर 2025 को लोक अदालत आयोजित की जाएगी। वहीं, तेलंगाना में 21 दिसंबर 2025 और दिल्ली में 10 जनवरी 2026 को लोक अदालत प्रस्तावित है।

लोक अदालत के माध्यम से पूर्व-विवाद तथा लंबित मामलों के त्वरित और सहमति-आधारित निस्तारण के लिए प्रभावी मंच प्रदान किया गया। इनमें आपराधिक शमन योग्य अपराध, यातायात चालान, प्ली बार्गेनिंग, बैंक वसूली, मोटर दुर्घटना दावे, चेक अनादरण, श्रम विवाद, वैवाहिक विवाद (तलाक को छोड़कर), भूमि अधिग्रहण, बौद्धिक संपदा अधिकार, उपभोक्ता विवाद तथा अन्य दीवानी मामले शामिल रहे।

सायं 6:30 बजे तक प्राप्त प्रारंभिक रिपोर्टों के अनुसार, कुल 2,59,07,860 मामलों का निस्तारण किया गया, जिनमें 2,35,23,361 पूर्व-विवाद प्रकरण और 41,77,466 लंबित मामले शामिल हैं। इन मामलों का कुल निपटान मूल्य ₹7,747.47 करोड़ से अधिक रहा। विभिन्न राज्य विधिक सेवा प्राधिकरणों से अंतिम रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद इन आंकड़ों में और वृद्धि की संभावना है।

यह राष्ट्रीय लोक अदालत एक समन्वित प्रयास के रूप में सामने आई, जिसका उद्देश्य विवाद निस्तारण में ठोस, मापनीय और समयबद्ध प्रगति सुनिश्चित करना था। इस दौरान राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड (NJDG) में दर्ज मामलों पर विशेष ध्यान केंद्रित किया गया, जिससे सहमति-आधारित समाधान के माध्यम से वास्तविक समय में राहत प्रदान की जा सकी।

लोक अदालत में हुए व्यापक और विविध निस्तारण से वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्र के प्रति संस्थागत और सार्वजनिक विश्वास में निरंतर वृद्धि का संकेत मिलता है। यह पहल संवाद, सहयोग और आपसी सहमति के माध्यम से न्याय प्रदान करने की विकसित होती न्यायिक सोच को दर्शाती है।

NALSA एक पारदर्शी, समावेशी और जन-केंद्रित न्याय प्रणाली के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को पुनः सुदृढ़ करते हुए यह सुनिश्चित किया है कि न्याय समाज के प्रत्येक वर्ग तक सरल, सुलभ और निष्पक्ष रूप से पहुँचे।


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