वकील दंपत्ति की हत्या केस: वकील ने तेलंगाना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के समक्ष सीबीआई जांच की मांग को लेकर पत्र याचिका दायर की
तेलंगाना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष एक पत्र याचिका दायर की गई है, जिसमें राज्य में एक वकील दंपति की कथित हत्या की सीबीआई जांच की मांग की गई है।
अधिवक्ता ख्वाजा एजाजुद्दीन द्वारा किए गए प्रतिनिधित्व में कहा गया है कि मृतक दंपति को मौत के घाट उतार दिया गया, क्योंकि वह जनहित याचिका दायर करके नियम कानून के पालन में लगे हुए थे और शोषितों के लिए न्याय हासिल करने में शामिल थे।
पत्र याचिका में आगे कहा गया है कि हाईकोर्ट द्वारा पुलिस सुरक्षा प्रदान करने के निर्देशों के बावजूद दंपति की हत्या की गई। इससे यह जाहिर होता है कि संबंधित पुलिस विभाग जानबूझकर वकील दंपति की सुरक्षा करने में विफल रहा है।
अधिवक्ता गट्टू वामन राव और उनकी पत्नी पीवी नागमणि की गाड़ी को उस वक्त बीच रास्ते में रोक लिया गया, जब वे मंथानी में एक अदालती कार्रवाई में भाग लेने के बाद हैदराबाद से लौट रहे थे।
कुछ अज्ञात लोगों ने दिनदहाड़े, सड़क के बीचो-बीच कई बार चाकू से वार कर उनकी हत्या कर दी।
दंपति को घायल अवस्था में पास के अस्पताल में ले जाया गया, जहां उन्होंने बुधवार दोपहर को दम तोड़ दिया।
इस संदर्भ में मुख्य न्यायाधीश के समक्ष दायर पत्र याचिका में कहा गया है,
"अधिवक्ता गट्टू वामन राव और उनकी पत्नी अधिवक्ता पीवी. नागमणि तेलंगाना हाईकोर्ट और इसके अधीनस्थ न्यायालयों के प्रैक्टिसिंग लॉयर हैं, जो पीएलएल (पब्लिक लैंटर लिलिगेशन) दाखिल करने में अधिक सक्रिय रहते हैं, उनकी बुधवार को दिन के लगभग 03:00 बजे पेद्दापल्ली जिला, (रामागुंडम पुलिस आयुक्तालय) में दिनदहाड़े हत्या कर दी गई। इस दौरान वे हैदराबाद शहर में अदालत की कार्रवाई में भाग लेने के बाद अपने घर लौट रहे थे।
चाकू और तलवारों से लैस हमलावरों ने पीड़ितों की कार को रोका और बीच रास्ते में ही वकील दंपति की मुख्य सड़क पर बेरहमी से हत्या कर दी गई। बाद में उन्हें पास के अस्पताल में ले जाया गया, जहां दोनों ने दम तोड़ दिया। इस घटना को राहगीरों और चार-पहिया वाहनों/मोटर चालकों ने भी देखा।
लॉयर दंपति जून, 2019 में रामागुंडम पुलिस कमिश्नरेट पुलिस स्टेशन में हुई लॉकअप डेथ के मामले को संज्ञान में लाया गया था और माननीय हाईकोर्ट की खंडपीठ ने माननीय हाईकोर्ट के समक्ष वकील जोड़े को राज्य के DGP को सुरक्षा देने की मांग की थी।
पृष्ठभूमि
राव और नागमणि ने मंथानी में एक सीलम रंगाया की कथित हिरासत में मौत के खिलाफ एक जनहित याचिका दायर की थी।
उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को संबोधित एक पत्र में दंपति ने आरोप लगाया था कि रंगिया को मंथानी पुलिस स्टेशन लाया गया था और चार दिनों तक लॉक-अप में रखा गया। इस अवधि के दौरान उसे कथित रूप से हिरासत में यातना दी गई।
इसके बाद पुलिस के अत्याचारों को सहन करने में वह असमर्थ रहा और रंगिया की मृत्यु 26.05.2020 को सुबह 4:00 बजे संदिग्ध परिस्थितियों में हवालात में हो गई।
अधिवक्ता नागमणि ने प्राथमिकी दर्ज करने के लिए निर्देश जारी करने के लिए अदालत के समक्ष प्रार्थना की और साथ ही शीलाम रंगिया की मौत की न्यायिक जांच की मांग भी की।
सितंबर 2020 में, युगल ने अदालत के समक्ष एक आवेदन दिया, जिसमें आरोप लगाया गया कि उन्हें पुलिस विभाग द्वारा धमकी दी जा रही है। वकील नागमणि ने आरोप लगाया था कि उनके पति को एक एफआईआर में झूठा फंसाया गया था और उन्हें फोन पर धमकी दी गई थी कि इस मामले में शामिल होने से वह न केवल अपने जीवन बल्कि अपने बच्चों और परिवार के अन्य सदस्यों के जीवन को खतरे में डाल रही हैं।
इन सबमिशन के बाद एक डिवीजन बेंच ने तेलंगाना राज्य के पुलिस महानिदेशक को निर्देश दिया था कि यह सुनिश्चित किया जाए कि दंपति को नुकसान न पहुंचे। पिछले हफ्ते, उच्च न्यायालय ने उन्हें दिए गए प्रोटेक्शन को आगे बढ़ाते हुए एक आदेश पारित किया।
बार काउंसिल ऑफ तेलंगाना ने एक बयान जारी कर कथित घटना की निंदा की है।
उन्होंने कहा,
"देश अधिवक्ताओं पर लगातार हमले देख रहा है और कोई भी व्यक्ति कानून को हाथ में नहीं ले सकता और अवैध गतिविधियों का सहारा नहीं ले सकता है और कानून के अनुसार इस मामले से निपटा जाएगा।"
परिषद ने पुलिस से जांच करने और दोषियों को गिरफ्तार करने की मांग की है। इसने सरकार से अधिवक्ताओं के संरक्षण के लिए अधिवक्ता संरक्षण अधिनियम बनाने के लिए भी कहा है, जो नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हैं।