"पेशेवर गतिविधियों पर पूर्ण कानूनी प्रतिबंध": मुंबई कोर्ट ने गिरफ्तार वकील को प्रतिनिधित्व करने के लिए दायर मुवक्किल की याचिका खारिज की

Update: 2022-07-21 06:35 GMT

ग्रेटर बॉम्बे में विशेष पीएमएलए अदालत ने क्लाइंटर द्वारा दायर उस आवेदन को खारिज कर दिया, जिसमें अनुरोध किया गया था कि गिरफ्तार वकील को हाईकोर्ट में उसका प्रतिनिधित्व करने की अनुमति दी जाए। उक्त वकील को गिरफ्तारी के बाद न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।

विशेष न्यायाधीश एम.जी. देशपांडे ने यह कहते हुए आवेदन को खारिज कर दिया,

"एक बार किसी व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया जाता है और न्यायिक हिरासत में भेज दिया जाता है तो उसकी पेशेवर गतिविधियों पर पूर्ण कानूनी प्रतिबंध होता है।"

आवेदक सुरेश हेडाऊ बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ के समक्ष लंबित चुनाव याचिका में याचिकाकर्ता हैं। उलने दावा किया कि उसके वकील सतीश उके को 31 मार्च, 2022 को प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ्तार कर लिा और और मुंबई ले जाया गया। उसने आगे आरोप लगाया कि ईडी ने ट्रांजिट रिमांड के बिना उके को बॉम्बे ले जाकर कानून अपने हाथ में लिया।

आवेदन में आरोप लगाया गया,

"[सतीश उके] 24 घंटे के भीतर अदालत के सामने पेश नहीं किया गया। किसी भी अदालत ने ईडी के इस तरह के कृत्य के खिलाफ कोई कार्रवाई शुरू नहीं की। हालांकि ईडी ने कानून अपने हाथ में ले लिया।"

हेडाऊ ने कहा कि उसका मामला अपने अंतिम चरण में है और उसे इसलिए स्थगित किया जा रहा है, क्योंकि उके उसका प्रतिनिधित्व करने के लिए मौजूद नहीं हैं। इसके अलावा, कोई अन्य वकील उसका संक्षिप्त विवरण लेने के लिए सहमत नहीं हुआ।

अदालत ने आवेदन की जांच की और पाया कि उके अपनी जमानत और रिमांड की कार्यवाही पर बहस कर रहे हैं और उन्होंने हाईकोर्ट में गिरफ्तारी को चुनौती नहीं दी है।

अदालत ने निष्कर्ष निकाला,

"उके की गिरफ्तारी की अवैधता के संबंध में आवेदक द्वारा इस आवेदन में दिए गए तर्क बिना किसी अधिकार के हैं और निराधार है।"

मामला नंबर- पीएमएलए विशेष। 2022 का केस नंबर 588

केस टाइटल– सुरेश शामराव हेडाऊ बनाम प्रवर्तन निदेशालय

कोरम- एम.जी. देशपांडे, पीएमएल अधिनियम के तहत विशेष न्यायाधीश

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