"याचिकाओं में साइटेशन का उल्लेख पर्याप्त": मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने याचिकाओं के साथ अनावश्यक रूप से निर्णय फोटोकॉपी दाखिल करने से बचने का अनुरोध किया
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट, इंदौर खंडपीठ ने वादियों और उसकी रजिस्ट्री पर याचिकाओं/आवेदनों के साथ अनावश्यक दस्तावेज़ दाखिल करने के वित्तीय बोझ को समझाते हुए बार के सदस्यों से अनुरोध किया कि वे ऐसे साइटेशन दाखिल करने से बचें, जिन पर तर्क के समय उनके द्वारा भरोसा किया जा सकता है।
खंडपीठ में जस्टिस विवेक रूसिया और जस्टिस ए.एन. केशरवानी ने मध्य प्रदेश रोकथाम और सार्वजनिक और निजी संपत्ति क्षति की वसूली अधिनियम, 2021 की शक्तियों को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए उक्त टिप्पणियां कीं।
न्यायालय ने कहा कि कुछ अनुबंधों के अलावा, याचिका में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित निर्णय शामिल हैं, जिन्हें संबंधित मामले में भी दायर किया गया। उसी कारण याचिका 200 से अधिक पृष्ठों तक चली गई।
खंडपीठ ने कहा,
निर्णयों की फोटोकॉपी दाखिल करने से न केवल वादियों पर बल्कि इस न्यायालय की रजिस्ट्री पर भी वित्तीय बोझ पड़ता है, क्योंकि प्रत्येक दस्तावेज को स्कैन किया जाता है, जिसके लिए हाईकोर्ट निजी एजेंसी को बड़ी राशि का भुगतान कर रहा है। इसलिए हम बार एसोसिएशन के सदस्यों से अनुरोध करते हैं कि अनावश्यक दस्तावेज दाखिल न करें। विशेष रूप से ऐसे निर्णय, जिन पर तर्क के समय भरोसा किया जा सकता है और केवल दलीलों में उद्धरणों का उल्लेख करना पर्याप्त होगा।
उपरोक्त टिप्पणियों के साथ न्यायालय ने रजिस्ट्री आदेश की प्रति हाईकोर्ट बार एसोसिएशन, इंदौर को भेजने का निर्देश दिया।
केस टाइटल: फैजान थ्रू गार्जियन मिसेज रानू खान बनाम मध्य प्रदेश राज्य और अन्य
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