लॉकडाउन के दौरान आवाजाहीः मध्य प्रदेश सरकार ने हाईकोर्ट से कहा, वकील और स्टाफ बार एसोसिएशनों के माध्यम से पास के लिए आवेदन कर सकते हैं

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने सोमवार (3 मई) को COVID-19 के मद्देनजर लागू लॉकडाउन के दरमियान अधिवक्ता कार्यालयों में कार्यरत जूनियर/ सहयोगी वकीलों और नियमित रूप से कार्यरत क्लर्कों की आवाजाही के संबंध में एक याचिका का निस्तारण किया।
चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस अतुल श्रीधरन की खंडपीठ ने सरकार की प्रस्तुतियों पर ध्यान देने के बाद आदेश दिया कि संबंधित वकील, उनके सहयोगी वकील और क्लर्क बार एसोसिएशन के माध्यम से अपने कार्यालय जाने के लिए निर्दिष्ट मार्गों पर आवश्यक पास के लिए ऑनलाइन या ऑफलाइन आवेदन कर सकते हैं।
कोर्ट के समक्ष याचिका
मध्य प्रदेश स्टेट बार काउंसिल के निर्वाचित सदस्य सुनील गुप्ता की ओर से दायर याचिका में उत्तरदाता-अधिकारियों को सीआरपीसी की धारा 144 के तहत जारी किए गए आदेशों को संशोधित करने के लिए निर्देश देने की प्रार्थना की गई थी।
याचिका में कहा गया था कि जूनियर/ सहयोगी वकीलों और कार्यलयों में कार्यरत क्लर्कों को बिना किसी बाधा के मध्य प्रदेश राज्य के कम से कम तीन जिलों जबलपुर, इंदौर और ग्वालियर की सीमाओं के भीतर आवाजाही की छूट दी जाए।
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि भोपाल, जबलपुर, इंदौर, और ग्वालियर में बार के सदस्यों को कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि राज्य सरकार ने राज्य में 17 मई तक लॉकडाउन/ कोरोना कर्फ्यू लगा दिया है।
दलील दी गई कि यदि न्यायालय वर्चुअल मोड से काम कर रहे हैं, तो वकीनों को कार्यालयों में बैठना होगा और उनके जूनियरों और क्लर्कों को भी उनकी सहायता के लिए आना होगा।
आगे यह भी कहा गया था कि चूंकि नागरिकों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगाया गया है, सरकार वकीलों, सहयोगियों/जूनियर्स और एडवोकेट क्लर्कों के लिए आवश्यक पास जारी कर सकते हैं।
राज्य सरकार की प्रस्तुतियां
राज्य के लिए उपस्थित सरकारी वकील ने कहा कि संबंधित वकील, उनके सहयोगी वकील और क्लर्क बार के माध्यम से आवश्क पास के लिए ऑनलाइन या ऑफलाइन आवेदन कर सकते हैं, और उसके बाद, संबंधित जिला मजिस्ट्रेट उनकी शिकायतों को देखेंगे और जो जरूरी होगा, वो करेंगे।
कोर्ट का आदेश
सरकारी वकील के प्रस्तुतियों के बाद, कोर्ट ने वकीलों को यह स्वतंत्रता देने हुए कि वो संबंधित बार एसोसिएशनों के माध्यम से पास के लिए आवेदन कर सकते हैं, याचिका का निस्तारण किया।
केस का शीर्षक - सुनील गुप्ता बनाम मध्य प्रदेश राज्य और अन्य [डब्ल्यू.पी. नंबर 9185/2021]
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