"मां पहले से ही सरकारी सर्विस में है": हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य की नीति के मद्देनजर अनुकंपा नियुक्ति की मांग वाली याचिका खारिज की
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने हाल ही में बेटे (अपने पिता के स्थान पर नौकरी) द्वारा दायर अनुकंपा नियुक्ति (Compassionate Appointment) की मांग वाली याचिका को खारिज किया।
कोर्ट ने कहा कि उसकी मां पहले से ही सरकारी सेवा में है, और इसलिए अनुकंपा के आधार पर राज्य की नीति के अनुसार उसे नौकरी नहीं दी जा सकती।
न्यायमूर्ति सबीना और न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने यह भी कहा कि मृतक कर्मचारी के परिवार का एक आश्रित सदस्य इस संबंध में राज्य द्वारा निर्धारित नियमों और शर्तों के अनुसार ही अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन करने का हकदार है।
महत्वपूर्ण रूप से, कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश राज्य एंड अन्य बनाम शशि कुमार, (2019) 3, SCC 653 के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भी भरोसा किया।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था,
"यह ध्यान में रखना आवश्यक है कि अनुकंपा नियुक्ति सामान्य नियम का अपवाद है कि राज्य की सेवा में किसी भी सार्वजनिक पद पर नियुक्ति संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 के अनुरूप सिद्धांतों के आधार पर की जानी है। राज्य के एक मृत कर्मचारी के आश्रितों को अनुकंपा नियुक्ति की नीति के आधार पर पात्र बनाया गया है। ऐसे आवेदनों पर विचार की जाने वाली शर्तें राज्य द्वारा बनाई गई नीति के अधीन हैं और उन्हें नीति की शर्तों को पूरा करना होगा। इस अर्थ में, यह कानून का एक सुस्थापित सिद्धांत है कि अनुकंपा नियुक्ति का कोई अधिकार नहीं है।"
संक्षेप में मामला
अनिवार्य रूप से, मोती राम ने हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में यह तर्क देकर अनुकंपा नियुक्ति की मांग की थी कि उनके पिता हिमाचल प्रदेश बिजली बोर्ड लिमिटेड के साथ एक टी-मेट के रूप में काम कर रहे थे और मार्च 2007 में सेवा के दौरान उनकी मृत्यु हो गई थी और इसलिए वह उनके स्थान पर नियुक्ति का हकदार है।
उन्होंने आगे कहा कि जब उन्होंने अनुकंपा के आधार पर अपनी नियुक्ति के लिए बोर्ड से संपर्क किया, तो उनके मामले को इस आधार पर गलत तरीके से खारिज कर दिया गया कि उसकी मां पहले से ही हिमाचल प्रदेश लोक निर्माण विभाग में कार्यरत है, इसलिए वह अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति का हकदार नहीं है। ए
दूसरी ओर, राज्य विद्युत बोर्ड ने प्रस्तुत किया कि नीति दिनांक 18.1.1990 के खंड 5 (सी) के अनुसार [एक सरकारी कर्मचारी के बेटे/बेटियों/निकट संबंधियों की नियुक्ति] याचिकाकर्ता के मामले को खारिज किया जाए।
यह तर्क दिया गया कि याचिकाकर्ता की मां पहले से ही सरकारी नौकरी में है, इसलिए उसे अनुकंपा के आधार पर सरकारी नौकरी नहीं दी जा सकती।
न्यायालय की टिप्पणियां
अदालत ने इस संबंध में राज्य की नीति को ध्यान में रखते हुए कहा कि याचिकाकर्ता संबंधित नीति के खंड -5 (सी) के मद्देनजर अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति का हकदार नहीं है क्योंकि उसकी मां पहले से ही सरकारी नौकरी में है।
इसलिए, अदालत ने माना कि प्रतिवादियों ने अनुकंपा के आधार पर उसकी नियुक्ति के लिए याचिकाकर्ता के मामले को खारिज कर दिया था। इसलिए, अदालत ने इस आधार पर याचिका खारिज कर दी कि हस्तक्षेप का कोई कारण नहीं बनता है।
केस का शीर्षक - मोती राम बनाम हिमाचल प्रदेश इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड लिमिटेड एंड अन्य
केस उद्धरण: 2022 लाइव लॉ (एचपी) 1
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