केवल मृत भाई के सिम कार्ड का उपयोग अपराध नहीं: बॉम्बे हाईकोर्ट ने धोखाधड़ी का मामला रद्द किया

Update: 2023-08-30 06:21 GMT

बॉम्बे हाईकोर्ट ने यह देखते हुए कि केवल मृत भाई के सिम कार्ड का उपयोग करना कोई अपराध नहीं है, डॉक्टर के खिलाफ उसकी भाभी द्वारा उसके मृत पति के सिम कार्ड के कथित उपयोग और उसके बिना उसकी चल संपत्ति की बिक्री के लिए दायर धोखाधड़ी का मामला रद्द कर दिया।

जस्टिस नितिन डब्ल्यू साम्ब्रे और जस्टिस आरएन लड्ढा की खंडपीठ ने मामला रद्द करने की मांग करते हुए आरोपियों द्वारा दायर रिट याचिका में टिप्पणी की कि प्रथम दृष्टया कार्यवाही पूरी तरह से पारिवारिक मतभेदों के कारण शुरू की गई।

खंडपीठ ने कहा,

“सिर्फ इसलिए कि सगे भाई के सिम-कार्ड का इस्तेमाल बहन यानी वर्तमान याचिकाकर्ता ने किया, यह अपने आप में अपराध नहीं बनेगा या घटित नहीं होगा। तथ्य यह है कि याचिकाकर्ता द्वारा सिम-कार्ड के दुरुपयोग का अनुमान लगाने के लिए इस तरह के कृत्य का अनुमान लगाने के लिए रत्ती भर भी सबूत नहीं है... प्रथम दृष्टया, ऐसा प्रतीत होता है कि शिकायतकर्ता द्वारा याचिकाकर्ता के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही पूरी तरह से पारिवारिक मतभेदों के कारण शुरू की गई। शिकायतकर्ता और याचिकाकर्ता के बीच संबंध से अनुमान लगाया जा सकता है।”

याचिकाकर्ता डॉ. हीना शेख अशफाक नामक व्यक्ति की बहन हैं, जिनका 23 अप्रैल, 2020 को COVID-19 संक्रमण के कारण निधन हो गया। अशफाक की पत्नी रुमाना ने 2 अक्टूबर, 2020 को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 406, 420 और 34 के तहत याचिकाकर्ता और अन्य व्यक्तियों के खिलाफ अपराध के आरोपों के साथ शिकायत दर्ज की।

रुमाना की शिकायत में शेख पर उसके मृत पति की मृत्यु के बाद उसका सिम कार्ड इस्तेमाल करने, उसे ब्लॉक करने और वापस लौटाने का आरोप लगाया गया। इसके अलावा, उसने आरोप लगाया कि याचिकाकर्ता ने अन्य लोगों के साथ मिलकर संयुक्त स्वामित्व वाली चल संपत्तियों के अनधिकृत निपटान की साजिश रची, जिससे उसकी बिक्री की आय रोक ली गई।

याचिकाकर्ता के वकील विनय नायर ने तर्क दिया कि अभियोजन पक्ष का बयान भले ही अंकित मूल्य पर लिया जाए, याचिकाकर्ता पर लगाए गए आरोपों के अनुरूप नहीं है। नायर ने इस बात पर प्रकाश डाला कि याचिकाकर्ता की भागीदारी मुख्य रूप से सिम कार्ड के कब्जे और उपयोग तक ही सीमित है, जिसे शिकायत दर्ज करने से पहले शिकायतकर्ता को वापस कर दिया गया।

अदालत ने कहा कि एयर कंडीशनर, ओवन, रेफ्रिजरेटर और अन्य चल वस्तुओं की बिक्री से संबंधित आरोप सीधे तौर पर याचिकाकर्ता से जुड़े नहीं हैं। अदालत ने कहा कि इसके बजाय यह मृतक का भाई और शिकायतकर्ता का बहनोई अफसर शाह है, जिसने शिकायतकर्ता के कहने पर लेनदेन को अंजाम दिया।

अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि केवल अपने मृत भाई के सिम कार्ड का उपयोग करना अपराध नहीं हो सकता। खासकर इसलिए, क्योंकि शिकायत दर्ज करने से पहले शिकायतकर्ता को कार्ड वापस कर दिया गया था। अदालत ने याचिकाकर्ता के कार्यों को कथित अपराधों से जोड़ने वाले ठोस सबूतों की अनुपस्थिति पर प्रकाश डाला और माना कि किसी भी अपराध का अनुमान नहीं लगाया जा सकता है।

इस प्रकार, अदालत ने निष्कर्ष निकाला कि याचिकाकर्ता के खिलाफ आपराधिक विश्वासघात और धोखाधड़ी के आवश्यक तत्व स्थापित नहीं किए जा सके। अदालत ने याचिका स्वीकार कर ली और याचिकाकर्ता के खिलाफ एफआईआर और संबंधित आरोप पत्र रद्द कर दिया।

केस नंबर- आपराधिक रिट याचिका नंबर 1871/2022

केस टाइटल- हीना आफरीन हुजैफा शेख बनाम महाराष्ट्र राज्य एवं अन्य।

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