जाति के कारण किया घर से बेदख़लः शिकायतकर्ता के घर लौटने की व्यवस्था करने के लिए दिल्ली कोर्ट ने पुलिस और जिला मजिस्ट्रेट को दिया निर्देश
रोहिणी कोर्ट्स (दिल्ली) ने मंगलवार (27 अक्टूबर) को रोहिणी के जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस को एक व्यक्ति को उसके घर लौटने के लिए आवश्यक व्यवस्था करने का निर्देश दिया, जिसे कथित तौर पर एक महिला पुलिस अधिकारी ने जाति पूर्वाग्रह के कारण उसके फ्लैट से निकाल दिया है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश राकेश कुमार चतुर्थ, अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धारा 15 ए के तहत दायर एक आवेदन पर सुनवाई कर रहे थे, जिसमें आवेदक / शिकायतकर्ता ने कहा था कि वह अनुसूचित जाति से संबंधित है और रोहिणी सेक्टर 6 [प्रथम तल] में एक फ्लैट का मालिक है और आरोपियों ने जबरन जातिगत पूर्वाग्रह के कारण शिकायतकर्ता और उसके परिवार को फ्लैट को कब्जाने के उद्देश्य से, वहां से भगाने की कोशिश की।
मामले की पुलिस ने जांच की और 09.09.2019 को एफआईआर संख्या 291/2019 यू / एस 323/341 आईपीसी दर्ज की गई थी।
यह आरोप लगाया गया कि प्राथमिकी दर्ज होने के बाद, आरोपियों (सभी महिलाएं) ने शिकायतकर्ता और उसके परिवार के सदस्य को धमकाना शुरू कर दिया और उन्हें धमकी दी कि अगर वे फ्लैट नहीं छोड़ेंगे, तो उन्हें या उनके परिवार को गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।
यह भी आरोप लगाया गया कि प्राथमिकी दर्ज होने के बावजूद, आरोपी ने शिकायतकर्ता पर जुल्म किए, और परिणामस्वरूप, आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ दूसरी एफआईआर संख्या 361/20 दर्ज की गई थी।
शिकायतकर्ता द्वारा यह भी प्रस्तुत किया गया कि आरोपियों ने शिकायतकर्ता और उसके परिवार के खिलाफ कई फर्जी और झूठी शिकायतें कीं और आरोपी महिला ने कथित तौर पर उसकी मां को पीटा और उसके और उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ अपमानजनक और जाति-आधारित टिप्पणी की।
दलील दी गई कि पुलिस द्वारा पूछताछ/जांच के बाद, यह पाया गया कि शिकायतकर्ता और उसके परिवार के खिलाफ अभियुक्त द्वारा लगाए गए सभी आरोप झूठे और मनगढ़ंत थे, जिनका एक मात्र उद्देश्य केवल शिकायतकर्ता की संपत्ति को हड़पना था।
यह भी दलील दी गई कि आरोपी व्यक्ति (मधुबाला शर्मा, आकांशा शर्मा, और अर्पिता शर्मा) आदतन अपराधी थे और उन्होंने जाति-सूचक शब्दों बोले और शिकायतकर्ता को जातिगत पूर्वाग्रह के कारण उसकी संपत्ति हड़पने के इरादे से पीटा था।
सुनवाई के दौरान, आरोपी महिला ने अदालत से कहा कि उसे आवेदन पर कोई आपत्ति नहीं है, शर्त यह है कि उसके परिवार की सुरक्षा का ध्यान रखा जाए क्योंकि वह एक महिला है और अपनी बेटियों के साथ भूतल पर रह रही है।
कोर्ट का आदेश
तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करने के बाद, अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश राकेश कुमार ने आदेश दिया, "संबंधित डीएम, संबंधित एसडीएम, संबंधित कार्यकारी मजिस्ट्रेट और संबंधित डीसीपी को शिकायतकर्ता को उनके घर तक पहुंचाने के लिए आवश्यक व्यवस्था करने का निर्देश दिया जाता है और साथ ही साथ आरोपी व्यक्तियों की सुरक्षा का भी ध्यान रखने का निर्देश दिया जाता है..."
दूसरे शब्दों में, अदालत ने जिला मजिस्ट्रेट, सब-डीविजनल मजिस्ट्रेट (एसडीएम), कार्यकारी मजिस्ट्रेट और पुलिस उपायुक्त को निर्देश दिया कि वह शिकायतकर्ता की उसके घर तक पहुंचाने की आवश्यक व्यवस्था करें।
अदालत ने अधिकारियों को आरोपी महिला और उसके परिवार के सदस्यों की सुरक्षा का ख्याल रखने के लिए का भी निर्देश दिया क्योंकि उन्होंने आरोप लगाया था कि उनकी बेटियां के साथ शिकायतकर्ता ने छेड़छाड़ की थी।
आवेदक/ शिकायतकर्ता की ओर से अधिवक्ता सत्य प्रकाश गौतम कोर्ट में पेश हुए।
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