पुरुष ने पुनर्विवाह करने के लिए कथित तौर पर पहली पत्नी को 'ट्रिपल तलाक' दियाः पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने दूसरी पत्नी को संरक्षण देते हुए कहा, हो सकता है उसे 'गुमराह' किया गया हो

Update: 2021-06-28 12:15 GMT

Punjab & Haryana High Court

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने हाल ही में पुलिस सुरक्षा (खतरे की धारणा के आकलन के अधीन) का आदेश देते हुए कहा है कि हो सकता है कि उसे(दूसरी पत्नी) 'शादी में गुमराह किया गया हो' क्योंकि उसके पति की पहली पत्नी ने दावा किया है कि उसने उसे ट्रिपल तलाक देने के बाद उससे(दूसरी पत्नी) दोबारा शादी कर ली है, जो कि उसकी कानून की नजर में अवैध है।

न्यायमूर्ति अरुण मोंगा की खंडपीठ भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत याचिकाकर्ताओं की सुरक्षा याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उनके जीवन के लिए सुरक्षा की मांग की गई थी।

उन्होंने याचिका में मुस्लिम अधिकारों और रीति-रिवाजों के अनुसार विवाहित होने का दावा किया था, जबकि याचिकाकर्ता नंबर 2 (पुरुष) ने अपनी पहली पत्नी यानी प्रतिवादी नंबर 6 को तलाक देने के बाद वैध रूप से पुनर्विवाह करने का दावा किया है।

दूसरी ओर, तत्काल याचिका की पूर्व में जानकारी होने के कारण प्रतिवादी नंबर 6 (पहली पत्नी) के वकील भी कार्यवाही में शामिल हो गए और याचिका के दावों का जोरदार विरोध किया।

पहली पत्नी ने बताया कि याचिकाकर्ता नंबर 2 (पुरुष) और वह अभी भी विवाहित हैं, क्योंकि उसके पति द्वारा दिया गया कथित तलाक कानून के तहत संज्ञेय नहीं था।

उसने आगे प्रस्तुत किया कि उसके पति का दावा है कि उसने उसे तीन बार ''तलाक तलाक तलाक'' बोलकर तलाक दे दिया है,जबकि यह तथ्य भी सत्य है कि ट्रिपल तलाक को कानून में मान्यता नहीं मिली है और यहां तक कि मुस्लिम अधिकारों के अनुसार भी यह एक वैध तलाक नहीं था।

उसने यह भी कहा कि वास्तव में उसके पति ने यह याचिका बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 की धारा 9/10/11 और भारतीय दंड संहिता की धारा 420/467/120-बी और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम, 2012 की धारा 4 और 6 के तहत उसके खिलाफ दर्ज आपराधिक कार्यवाही में बचाव के उद्देश्य से दायर की है।

कोर्ट का आदेश

सभी वकीलों की दलीलें सुनने के बाद, अदालत ने कहा कि वर्तमान कार्यवाही में हस्तक्षेप करने का कोई आधार नहीं बनता है।

कोर्ट ने कहा कि निजी पक्ष अन्य उचित उपायों का उपयोग करने के लिए स्वतंत्र हैं, जो कानून के तहत उनके लिए उपलब्ध हो सकते हैं।

हालांकि, न्याय के हित में, केवल याचिकाकर्ता नंबर 1 (दूसरी पत्नी) के जीवन और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए, अदालत ने पुलिस अधीक्षक, पलवल को निर्देश दिया है कि वह उसकी धमकी की धारणा पर विचार करें। कोर्ट ने यह निर्देश इस बात पर विचार करते हुए दिया है कि हो सकता है कि याचिकाकर्ता नंबर 1 को शादी में  गुमराह किया गया हो।

अदालत ने कहा, ''यदि इसमें कुछ वास्तविकता है तो वह याचिकाकर्ता नंबर 1 (दूसरी पत्नी) को जीवन की सुरक्षा और स्वतंत्रता प्रदान करने के लिए कानून के अनुसार उचित कदम उठा सकते हैं।''

केस का शीर्षक - रिजवाना व अन्य बनाम हरियाणा राज्य व अन्य

आदेश पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें




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