जब दूसरी जगह जांच की जा रही है तो जब्त की गई वस्तुओं की वापसी का आदेश देने के लिए अदालत के पास क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र नहीं: मद्रास हाईकोर्ट

Update: 2022-12-06 06:44 GMT

मद्रास हाईकोर्ट ने माना कि जब जांच अलग स्थान पर की जा रही है तो जब्त की गई वस्तुओं की वापसी का आदेश देने के लिए अदालत के पास क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र नहीं है, भले ही तलाशी और जब्ती उसकी क्षेत्रीय सीमाओं के भीतर की गई हो।

जस्टिस पीएन प्रकाश और जस्टिस आरएमटी टीका रमन की खंडपीठ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा चेन्नई में याचिकाकर्ता के आवास से जब्त किए गए याचिकाकर्ता के "अवैध रूप से" जब्त किए गए दस्तावेजों और मोबाइल फोन को वापस करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रहे थे।

अदालत ने निम्नानुसार देखा,

हमें डर है कि इस मामले के तथ्यों और परिस्थितियों में चेन्नई में याचिकाकर्ता के परिसर से वस्तुओं की जब्ती और बरामदगी इस न्यायालय को क्षेत्राधिकार प्रदान नहीं कर सकती, क्योंकि सीबीआई के साथ-साथ प्रवर्तन निदेशालय द्वारा भी जांच की जा रही है। नई दिल्ली में और तलाशी और जब्ती जांच का प्रभाव है न कि जांच का कारण।

पृष्ठभूमि

सीबीआई ने कुछ लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 120 बी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 8 और 9 के तहत आपराधिक साजिश रचने और लोक सेवक को रिश्वत देने के आरोप में एफआईआर दर्ज की। ऐसा आरोप है कि मैसर्स तलवंडी साबो पावर लिमिटेड (मैसर्स टीएसपीएल) द्वारा एस भास्कररमन नाम के लोक सेवक को रिश्वत के रूप में 50,00,000 रुपये दिए गए, जो कार्ति पी चिदंबरन के सहयोगी है।

चूंकि, एफआईआर में धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत अनुसूचित अपराध होने का खुलासा हुआ, इसलिए प्रवर्तन निदेशालय ने भी मामला दर्ज किया और जांच शुरू की।

याचिकाकर्ता की कंपनी ने कार्ति पी चिदंबरम के साथ साझेदारी समझौता भी किया था और लगभग उसी समय नकद लेनदेन किया, जब उपरोक्त अनुसूचित अपराध किए गए।

इसलिए ईडी ने याचिकाकर्ता के परिसरों में तलाशी ली और रिकॉर्ड और डिजिटल उपकरणों सहित कुछ सामग्री जब्त की।

याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि चूंकि वस्तुओं को चेन्नई में याचिकाकर्ता के परिसर से जब्त किया गया, मद्रास हाईकोर्ट के पास याचिका पर विचार करने के लिए क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र है। इसके लिए यह प्रस्तुत किया गया कि संविधान के अनुच्छेद 226 (2) के तहत जिस हाईकोर्ट के अधिकार क्षेत्र में कार्रवाई का कारण हिस्सा उत्पन्न होगा, यह उसी के क्षेत्रीय अधिकार में होगा।

हालांकि, अदालत को इन तर्कों में बल नहीं मिला। यह पाया गया कि तलाशी और जब्ती जांच का प्रभाव है न कि जांच का कारण। चूंकि सीबीआई और ईडी की जांच दिल्ली में हो रही है, इसलिए कोर्ट इस मामले में दखल नहीं दे सकता।

इस प्रकार, अदालत ने याचिकाकर्ता को उचित प्लेटफॉर्म के समक्ष अपील करने की स्वतंत्रता देते हुए याचिका खारिज कर दी।

केस टाइटल: रमेश दुगर बनाम उप निदेशक और अन्य

साइटेशन: लाइवलॉ (Mad) 496/2022

केस नंबर : डब्ल्यू.पी.नंबर 28848/2022

याचिकाकर्ता के वकील: जी.विजय आनंद

उत्तरदाताओं के वकील: एन रमेश विशेष लोक अभियोजक (प्रवर्तन निदेशालय)

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