मद्रास हाईकोर्ट ने फर्जी एडवोकेट को गिरफ्तार करने का आदेश देते हुए उसके द्वारा ठगे गए क्लाइंट का पता लगाने के लिए समाचार पत्रों में उसकी तस्वीर प्रकाशित करने का निर्देश दिया

Update: 2022-08-08 05:30 GMT

मद्रास हाईकोर्ट

मद्रास हाईकोर्ट ने हाल ही में एक फर्जी एडवोकेट के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं। जस्टिस एस वैद्यनाथन और जस्टिस एडी जगदीश चंद्र की पीठ ने चेन्नई शहर के पुलिस आयुक्त को निर्देश दिया है कि वह एक अधिकारी नियुक्त करें,जो कानून के अनुसार मामला दर्ज करने के बाद फर्जी वकील को गिरफ्तार करे और पूरे मामले की जांच करे।

हम पुलिस आयुक्त, चेन्नई शहर पुलिस को केंद्रीय अपराध शाखा (सीसीबी), चेन्नई में एक सहायक पुलिस आयुक्त के रैंक पर तैनात एक अधिकारी की प्रतिनियुक्ति करने का निर्देश देते हैं, जो कानून के अनुसार मामला दर्ज करे और न्यायालय के समक्ष फर्जी दस्तावेज पेश करने के लिए चौथे प्रतिवादी को गिरफ्तार करे। यह अधिकारी चौथे प्रतिवादी की स्कूली शिक्षा सहित पूरे मामले की गहन जांच करें और इस मामले में एक फाइनल रिपोर्ट कोर्ट के समक्ष दाखिल करें।

अदालत ने जांच अधिकारी को तमिलनाडु राज्य में प्रसारित होने वाले तमिल और अंग्रेजी दोनों दैनिक समाचार पत्रों में इस व्यक्ति की तस्वीर को भी व्यापक रूप से प्रकाशित करने  निर्देश दिया है ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या उसने किसी और क्लाइंट को भी धोखा दिया है या नहीं? बार एसोसिएशन ऑफ तमिलनाडु एंड पुडुचेरी को भी इस एडवोकेट के खिलाफ लंबित सभी शिकायतों के संबंध में जांच करने का निर्देश दिया गया है।

मामले की गंभीरता को देखते हुए अदालत ने कहा किः

वास्तव में इस मामले में एक आपराधिक केस दर्ज किए जाने की आवश्यकता है और फर्जी दस्तावेज बनाने के काम में शामिल व्यक्तियों के खिलाफ उचित कार्रवाई किए जाने की भी आवश्यकता है। नौकरी का झांसा देने और झूठे दस्तावेज बनाने के मामले आजकल तेजी से बढ़ रहे हैं और ऐसे अपराधों में शामिल व्यक्तियों के साथ कड़ाई से पेश आना चाहिए और उन्हें ऐसे की आजाद घूमने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। चौथे प्रतिवादी का आचरण न्याय प्रशासन में हस्तक्षेप के समान भी है।

अदालत एक हैबियस कार्पस याचिका पर विचार कर थी जिसमें एक मां ने उसके 17 वर्षीय दत्तक पुत्र को पेश करने की मांग की थी,जिसे तीसरे और चौथे प्रतिवादी ने अवैध रूप से अपनी कस्टडी में रखा हुआ था। तीसरी प्रतिवादी ने खुद को कार्पस की सौतेली बहन होने का दावा किया और चौथे प्रतिवादी ने उसकी मदद की जिसने खुद को एक वकील बताया था।

जैसा कि याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि चौथा प्रतिवादी एक वकील होने का दिखावा कर रहा था, तो अदालत ने चौथे प्रतिवादी से इस संबंध में जवाब मांगा। उसने कथित तौर पर भारतीदासन विश्वविद्यालय द्वारा जारी किया गया डिग्री प्रमाणपत्र पेश किया, जो अदालत के अनुसार, साधारण तौर पर देखने पर भी नकली ही लग रहा था। प्रमाण पत्र के तमिल संस्करण में यह दिखाया गया था कि प्रतिवादी ने ''इतिहास'' का अध्ययन किया है और लॉ में ''प्रथम श्रेणी'' प्राप्त की है। इसके विपरीत, अंग्रेजी भाषा में, यह बताया गया है कि चौथे प्रतिवादी ने ''लॉ'' में ''द्वितीय श्रेणी'' हासिल की है।

संदेह होने पर, अदालत ने विश्वविद्यालय के वकील को इस कानून प्रमाण पत्र की वास्तविकता का पता लगाने का निर्देश दिया था। जिसके बाद, विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक से प्राप्त ईमेल संचार को अदालत के सामने पेश किया गया था,जिसमें कहा गया था कि प्रमाण पत्र वास्तविक नहीं है और विश्वविद्यालय द्वारा जारी नहीं किया गया है।

हालांकि, प्रतिवादी ने यह तर्क देना जारी रखा कि उसने गवर्नमेंट लॉ कॉलेज, त्रिची में कानून की पढ़ाई की है और उसने डिग्री प्रमाण पत्र प्रस्तुत करते हुए कहा कि यह मूल दस्तावेज है। इसके अलावा उसने एक हलफनामा के रूप में दिनांक 28.07.2022 को मद्रास हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को संबोधित एक हस्तलिखित पत्र भी पेश किया।

अदालत ने कहा कि तमिलनाडु डॉ अम्बेडकर लॉ यूनिवर्सिटी (टीएनडीएएलयू) के गठन के बाद से, किसी अन्य विश्वविद्यालय को लॉ में डिग्री सर्टिफिकेट जारी करने का अधिकार नहीं है। अतः प्रतिवादी का दावा स्पष्ट रूप से झूठा है। इसलिए, अदालत प्रथम दृष्टया संतुष्ट है कि प्रतिवादी ने खुद के लॉ ग्रेजुएट होने का दावा करते हुए एक फर्जी डिग्री प्रमाण पत्र पेश किया है।

हालांकि याचिकाकर्ता ने यह भी दावा किया था कि प्रतिवादी ने खुद को एक वकील बताया था और यहां तक कि बार काउंसिल ऑफ तमिलनाडु एंड पुडुचेरी द्वारा जारी एक पहचान पत्र भी दिखाया था। प्रतिवादी के वकील ने तर्क दिया कि प्रतिवादी ने केवल कानून की पढ़ाई पूरी की है और बार काउंसिल ऑफ तमिलनाडु एंड पुडुचेरी के समक्ष एक वकील के रूप में नामांकन नहीं करवाया था। हालांकि अदालत ने कहा कि वर्तमान में वह प्रतिवादी द्वारा पेश किए गए फर्जी दस्तावेज और अदालत के समक्ष उसके द्वारा दायर हलफनामे से चिंतित है।

मामले की अगली सुनवाई अब 10 अगस्त 2022 को होगी।

आदेश पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें



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