मद्रास हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने एचसी बार एसोसिएशन को बिना भेदभाव के सदस्यता देने के निर्देश देने वाले आदेश के खिलाफ अपील पर सुनवाई से खुद को अलग किया
मद्रास हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस एसवी गंगापुरवाला ने सोमवार को मद्रास बार एसोसिएशन को बिना किसी भेदभाव के सदस्यता देने के निर्देश देने वाले एकल न्यायाधीश के आदेश के खिलाफ अपील पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया।
एकल न्यायाधीश ने एसोसिएशन के उपनियमों की आलोचना की थी जो सामान्य वकील के लिए एसोसिएशन का सदस्य बनना मुश्किल बनाते हैं। अदालत ने एसोसिएशन को सीनियर वकील हाथी जी राजेंद्रन को 2012 में उनके बेटे को सीनियर वकील द्वारा पीने का पानी देने से इनकार करने के लिए मुआवजे के रूप में पांच लाख रुपये का भुगतान करने का भी निर्देश दिया।
जस्टिस गंगापुरवाला और जस्टिस पीडी औडेकेसवालु की खंडपीठ के समक्ष जब मामला रखा गया तो चीफ जस्टिस ने कहा कि एकल न्यायाधीश ने बार एसोसिएशन को हाई-सिक्योरिटी जोन से किसी अन्य स्थान पर ट्रांसफर करने के लिए उचित प्रशासनिक कार्रवाई के संबंध में आदेश पारित किया है। इस प्रकार, सीजे ने कहा कि वह अपीलों पर सुनवाई नहीं कर सकते।
“मद्रास बार एसोसिएशन/दूसरे प्रतिवादी को “उच्च-सुरक्षा क्षेत्र” हाईकोर्ट परिसर में किसी अन्य स्थान पर शिफ्ट करना हाईकोर्ट एडमिनिस्ट्रेशन के विशेष क्षेत्र में है।
जस्टिस एसएम सुब्रमण्यम ने विवादित आदेश में कहा,
यह मद्रास हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल का काम है कि वह सभी तथ्यों को मद्रास हाईकोर्ट के माननीय चीफ जस्टिस के समक्ष रखकर उचित कार्रवाई शुरू करें।
ये अपीलें एकल न्यायाधीश के उस आदेश से उत्पन्न हुई हैं, जिसमें एसोसिएशन को उसके सदस्य द्वारा पीने का पानी देने से इनकार करने की अप्रिय घटना के लिए मुआवजा देने का निर्देश दिया गया।
एकल न्यायाधीश ने बार एसोसिएशन को जाति, लिंग, धर्म, आर्थिक स्थिति, सीनियर वकीलों या गणमान्य व्यक्तियों के साथ व्यक्तिगत जुड़ाव और राजनीतिक संबद्धता के आधार पर भेदभाव किए बिना हाईकोर्ट के सभी इच्छुक प्रैक्टिसिंग वकीलों को सदस्यता देने का भी निर्देश दिया।
याचिकाकर्ता की इस दलील के संबंध में कि मद्रास बार एसोसिएशन, जो हाईकोर्ट के उच्च-सुरक्षा क्षेत्र के अंदर काम कर रहा है, उसको हाईकोर्ट परिसर में नई इमारत में शिफ्ट कर दिया जाना चाहिए और इस तरह के कब्जे वाले क्षेत्र का उपयोग इस प्रयोजन के लिए किया जाना चाहिए। एकल न्यायाधीश ने देखा कि यह हाईकोर्ट एडमिनिस्ट्रेशन के विशेष क्षेत्र में आता है। एकल न्यायाधीश ने मामले को चीफ जस्टिस के समक्ष रखने का आदेश दिया था।