COVID-19 के सांप्रदायिकरण को रोकने की याचिका पर मद्रास हाईकोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार से जवाब मांगा
मद्रास हाईकोर्ट ने गुरुवार को तब्लीगी जमात की घटना के मद्देनजर COVID-19 के सांप्रदायिकरण को रोकने के लिए दायर याचिका पर नोटिस जारी करते हुए केंद्र और तमिलनाडु सरकार से जवाब मांगा।
मद्रास हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर COVID-19 को सांप्रदायिक बनाने से रोकने के लिए केंद्र और राज्य सरकार को निर्देश देने की मांग की गई है। याचिका में यह भी कहा गया है कि मीडिया अपनी ज़िम्मेदरी को समझे। इसके लिए ज़रूरी है कि ऐसा नहीं करने वालों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई की जाए और उन्हें कहा जाए कि संवेदनशील समय में उन्हें बिना असलियत जाने खबर को प्रकाशित नहीं करें।
सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ़ इंडिया के राज्य महासचिव उमर फारूक ने यह याचिका दायर की है। याचिका में उन्होंने कहा है कि दिल्ली के निज़ामुद्दीन मरकज़ में जमा तबलिग़ी जमात के लोगों के जमावड़े की रिपोर्टिंग सांप्रदायिक बनाकर की गई। एक 'दुर्भाग्यपूर्ण घटना' का प्रयोग पूरे मुस्लिम समुदाय को बदनाम करने और पूरे समुदाय पर इसकी ज़िम्मेदारी थोपने के लिए किया गया।
याचिका में कहा गया है "मीडिया के एक वर्ग ने संयम बरतने के बजाय इस घटना की रिपोर्टिंग सांप्रदायिक रंग में रंग कर की और "कोरोना जिहाद, कोरोना आतंकवाद, इस्लामी पुनरुत्थान, कोरोना बम" आदि जैसे शब्दों का प्रयोग किया गया। यह दुर्भाग्यपूर्ण था कि जिस घटना के लिए तबलिग़ी जमात ज़िम्मेदार था उसके लिए पूरे मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाया गया।"
याचिका में इस घटना के बारे में वायरल किए गए कई ऐसे फ़र्ज़ी वीडियो का ज़िक्र भी किया गया जिसमें मुसलमानों को कोरोना वायरस फैलाने के लिए थूकते और छींकते हुए दिखाया गया है। इनके बारे में ये फ़र्ज़ी वीडियो सोशल मीडिया के माध्यम से पूरे देश में फैलाया गया ताकि मुसलमानों को बदनाम किया जा सके।
याचिका में कहा है कि समुदाय को इस तरह बदनाम करना जीने के अधिकार पर पाबंदी लगाने जैसा है जिसकी गारंटी संविधान उनको अनुच्छेद 21 के तहत देता है और यह केबल टेलिविज़न नेटवर्क्स (विनियमन) अधिनियम, 1995 का भी उल्लंघन है।
याचिकाकर्ता ने 31 मार्च 2020 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का भी ज़िक्र किया गया है जिसमें कहा गया है कि मीडिया कोविड-19 से जुड़ी खबरों की रिपोर्टिंग में संयम बरतना चाहिए और अपुष्ट खबरें प्रकाशित नहीं करनी चाहिए कि जिससे लोगों में घबराहट फैले।
याचिकाकर्ता ने इस मामले में स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस के रवैए पर भी चिंता जतायी है। इसमें कहा गया है कि 200 से ज़्यादा शिकायत करने के बाद भी सिर्फ़ कुछ ही एफआईआर दर्ज किए गए हैं।
याचिका में कहा गया है कि तमिलनाडु पुलिस महानिदेशक को इस बारे में उचित निर्देश जारी किया जाए कि शिकायत प्राप्त होने के बाद वह एफआईआर दर्ज करे और फ़र्ज़ी खबरों और सांप्रदायिक घृणा फैलानेवालों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करे।