मद्रास हाईकोर्ट ने डॉ. अंबेडकर का जन्मदिन मनाने की अनुमति नहीं मिलने पर आंदोलनकारी लॉ स्टूडेंट्स के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही रद्द की
मद्रास हाईकोर्ट ने हाल ही में कुछ आंदोलनकारी लॉ स्टूडेंट्स के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया। उक्त स्टूडेंट्स अपने कॉलेज के बाहर एकत्र होकर प्रदर्शन कर रहे थे। इन स्टूडेंट्स को डॉ. बीआर अंबेडकर का जन्मदिन मनाने की अनुमति नहीं दी गई थी।
जस्टिस जीआर स्वामीनाथन की खंडपीठ ने आगे कहा कि लॉ कॉलेज के सामने लॉ स्टूडेंट्स के इकट्ठा होने को गैरकानूनी सभा के रूप में नहीं माना जा सकता।
संक्षेप में मामला
अभियोजन पक्ष के अनुसार, 11 अप्रैल, 2016 को कुछ लॉ स्टूडेंट्स/अभियुक्त अपने लॉ कॉलेज के सामने इकट्ठे हुए। ये स्टूडेंट्स डॉ. अम्बेडकर का जन्मदिन पहले से मनाना चाहते थे।
चूंकि प्रासंगिक समय के दौरान, आदर्श आचार संहिता लागू थी, इसलिए शिकायतकर्ता ने उन्हें अनुमति देने से इनकार कर दिया। इससे असंतुष्ट होकर अभियुक्तों ने कथित तौर पर नारे लगाए और लोक सेवकों को अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने से रोका। साथ ही उनके कार्य में बाधा उत्पन्न की।
आरोप लगाया गया कि आरोपियों ने डॉ. अम्बेडकर की तस्वीर भी तोड़ दी और 150/- रुपये का नुकसान किया। इसलिए, भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 143, 188, 341 और धारा 353 और आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम की धारा 7(1)(ए) के तहत इनके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया गया।
मामले में जांच की गई और एक अंतिम रिपोर्ट दर्ज की गई। उपरोक्त अपराधों का संज्ञान भी लिया गया। मामले को फाइल पर लिया गया। इसलिए, इसे रद्द करने के लिए तत्काल आपराधिक मूल याचिका दायर की गई।
कोर्ट का आदेश
कोर्ट ने कहा कि यह हाईकोर्ट द्वारा कहा गया कि आईपीसी की धारा 188 के तहत अपराध के लिए पुलिस अधिकारी द्वारा एक प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज नहीं की जा सकती है।
इसके अलावा, मामले के तथ्यों का जिक्र करते हुए अदालत ने कहा कि आरोपी डॉक्टर अंबेडकर का जन्मदिन पहले से मनाना चाहते थे। चूंकि अनुमति से इनकार कर दिया गया था, इसलिए वे उत्तेजित हो गए। अदालत ने इस व्यवहार पर विचार किया। छात्रों के हिस्से को आपराधिक रंग देने की आवश्यकता नहीं है।
अदालत ने अभियोजन पक्ष के इस रुख पर कहा कि आरोपी ने डॉ अम्बेडकर की तस्वीर फेंक दी और नुकसान को स्वाभाविक रूप से असंभव बताया, जैसा कि इस प्रकार उल्लेख किया गया है:
"सभा का उद्देश्य डॉ. अम्बेडकर का जन्मदिन मनाना था। यह स्वाभाविक रूप से असंभव है कि वे खुद को इस तरह से प्रदर्शित कर सकते है ताकि डॉ अम्बेडकर की पवित्र स्मृति को धूमिल किया जा सके।"
अंत में यह मानते हुए कि आक्षेपित अभियोजन को जारी रखना उचित नहीं है, न्यायालय ने कार्यवाही को रद्द कर दिया और याचिका को स्वीकार कर लिया। कोर्ट ने यह भी कहा कि आदेश का लाभ गैर-याचिकाकर्ता अभियुक्तों के पक्ष में भी सुनिश्चित होगा। परिणामस्वरूप, संबंधित विविध याचिकाओं को भी बंद कर दिया गया था।
केस का शीर्षक - एस दिनेश कुमार बनाम पुलिस निरीक्षक और अन्य।
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