मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा पीजी मेडिकल प्रवेश के लिए तैयार 2022-23 नीट मेरिट लिस्ट रद्द की

Update: 2022-09-23 06:03 GMT

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने गुरुवार को 2022-23 सत्र की पीजी-मेडिकल कोर्स काउंसलिंग के लिए राज्य सरकार द्वारा इन-सर्विस डॉक्टरों के लिए तैयार पूरी मेरिट लिस्ट को रद्द कर दिया। चीफ जस्टिस आरवी मलीमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा ने राज्य को पूरी मे‌रिट लिस्ट की नए सिरे से तैयार करने और उसी के आधार पर काउंसलिंग आयोजित करने का निर्देश दिया है।

मौजूदा विवाद मेरिट लिस्ट से बड़ी संख्या में सरकारी डॉक्टरों और चिकित्सा अधिकारियों को बाहर किए जाने के बाद पैदा हुआ था। राज्य सरकार ने उन सभी सरकारी डॉक्टरों और चिकित्सा अधिकारियों को 30% इन-सर्विस रिजर्वेशन कंपार्टमेंट के लिए योग्य डॉक्टरों की मेरिट लिस्ट से बाहर कर दिया था, जिन्होंने राज्य के जिला अस्पतालों में सेवा की थी।

जब नीट की परीक्षा हुई थी तब ये सभी डॉक्टर पात्र थे; परिणाम घोषित किए गए, और अनंतिम मेरिट सूची तैयार की गई, जिसमें उनके नाम शामिल नहीं किए गए थे, बावजूद इसके कि मेडिकल प्रवेश नियम आगे शामिल करने का प्रावधान करते हैं।

राज्य सरकार ने इसके बाद 26 जुलाई 2022 को उन सभी सरकारी डॉक्टरों को बाहर करने के लिए चिकित्सा प्रवेश नियमों में संशोधन किया, जिन्होंने राज्य के जिला अस्पतालों में सेवा दी थी। डॉक्टरों ने इस इस रूप में चुनौती दी थी कि खेल शुरू होने के बाद नियमों में बदलाव नहीं किया जा सकता है और संशोधित नियम अगले शैक्षणिक वर्ष से लागू होंगे, न कि वर्तमान वर्ष से।

हाईकोर्ट ने फैसले में माना कि चयन प्रक्रिया शुरू होने के बाद बीच में पेश किए गए मेडिकल प्रवेश नियमों में संशोधन मौजूदा वर्ष पर लागू नहीं होगा, बल्‍कि अगले वर्ष से संभावित रूप से लागू होगा। तद्नुसार संपूर्ण मेरिट सूची को निरस्त करते हुए राज्य सरकार को पूर्व में लागू और असंशोधित चिकित्सा प्रवेश नियमों के अनुसार पूरी प्रक्रिया को फिर से करने का निर्देश दिया गया है।

हाईकोर्ट के निर्णय के बाद चल रही काउंसलिंग प्रक्रिया और प्रवेश भी ठप हो गया है। याचिकाकर्ता डॉक्टरों में) का प्रतिनिधित्व एडवोकेट सिद्धार्थ आर गुप्ता और आदित्य सांघी ने किया, जबकि राज्य का प्रतिनिधित्व सीनियर एडवोकेट केसी घिल्डियाल, रोहन हार्ने और जान्हवी पंडित ने किया।

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