" राज्य चुनाव आयोग जाएं" : मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने मतदाता सूची से नाम हटाने को चुनौती देने वाली रिट याचिका का निपटारा किया
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने हाल ही में एक ऐसे व्यक्ति की याचिका का निपटारा कि जो स्थानीय चुनाव लड़ने का इरादा रखता था और मतदाता सूची से अपना नाम हटाने के संबंध में अपनी शिकायत लेकर हाईकोर्ट के समक्ष आया था। न्यायालय ने इस याचिकाकर्ता को अपनी याचिका के संबंध में राज्य चुनाव आयोग से संपर्क करने की स्वतंत्रता देते हुए याचिका का निपटारा किया।
जस्टिस सुश्रुत अरविंद धर्माधिकारी की खंडपीठ ने राज्य चुनाव आयोग को निर्देश दिया कि यदि याचिकाकर्ता इसके पास आता है तो वह 24 घंटे के भीतर कानून के अनुसार तर्कपूर्ण और स्पष्ट आदेश पारित कर सकता है।
संक्षेप में मामला
न्यायालय एक दिलीप भारती गोस्वामी द्वारा दायर एक रिट याचिका पर विचार कर रहा था, जिन्होंने प्रस्तुत किया था कि वह 2017 से जबलपुर के वार्ड नंबर 11, लम्हेता घाट का निवासी है। उनका नाम विधान सभा के चुनाव के उद्देश्य से चुनाव आयोग द्वारा वर्ष 2021 में जारी मतदाता सूची में भी शामिल था।
हालांकि, मार्च 2022 में पंचायत और नगरीय निकाई चुनाव अधिसूचित होने के बाद उन्हें पता चला कि उनका नाम मतदाता सूची से हटा दिया गया है। चूंकि वह चुनाव लड़ना चाहते हैं, इसलिए, इससे व्यथित होकर याचिकाकर्ता ने मतदाता पंजीकरण नियम, 1960 के नियम 21 के तहत उपयुक्त प्राधिकारी के समक्ष एक आवेदन प्रस्तुत किया।
हालांकि, आवेदक के आवेदन को खारिज कर दिया गया। इससे व्यथित होकर याची ने निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण नियम 1960 के नियम 23 के तहत अपीलीय प्राधिकारी के समक्ष अपील दायर की, हालांकि अपील भी खारिज कर दी गई।
अपनी अपील को खारिज करने के खिलाफ याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट का रुख किया जहां उन्होंने तर्क दिया कि उनका नाम भारत में कहीं भी किसी भी मतदाता सूची में जगह नहीं है और इसलिए, उन्होंने वोट देने और चुनाव में भाग लेने का अपना बहुमूल्य अधिकार खो दिया है।
आगे यह तर्क दिया गया कि पटवारी की रिपोर्ट के आधार पर और किसी अन्य इच्छुक व्यक्ति को अनुचित लाभ देने के लिए उनका नाम मतदाता सूची से बाहर रखा गया। अंत में यह तर्क दिया गया कि आगामी चुनावों के लिए उन्हें नामांकन फॉर्म भरने की अनुमति दी जाए।
हालांकि कोर्ट ने रिट याचिका पर तत्काल विचार करने से इनकार किया। हालांकि, इस तथ्य को देखते हुए कि उनका नाम केवल पटवारी की रिपोर्ट पर मतदाता सूची से हटा दिया गया था, अदालत ने उन्हें अपनी शिकायत के निवारण के लिए राज्य चुनाव आयोग से संपर्क करने की स्वतंत्रता दी।
केस टाइटल - दिलीप बनाम एमपी राज्य चुनाव आयोग
साइटेशन :
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