"प्रयागराज में नालों की सफाई के लिए मशीनों, सुरक्षात्मक गियर का उपयोग नहीं किया जा रहा है": इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डीएम को तलब किया

Update: 2022-07-15 08:27 GMT

इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने प्रयागराज शहर में नालों की सफाई के लिए वर्कर्स को कोई सुरक्षात्मक गियर प्रदान नहीं किए जाने पर जिला मजिस्ट्रेट और नगर आयुक्त, प्रयागराज को तलब किया।

कोर्ट ने तस्वीरों में देखा कि वर्कर्स सफाई के लिए नाले के अंदर गहरे पानी में थे।

चीफ जस्टिस राजेश बिंदल और जस्टिस जे जे मुनीर की खंडपीठ एक स्वत:संज्ञान जनहित याचिका पर विचार कर रही थी, जिसमें अदालत ने एक न्यूज पर ध्यान दिया था जिसमें दिखाया गया था कि नगर निगम या जिले में ठेकेदारों के माध्यम से बिना किसी सुरक्षात्मक गियर के खुले नालों की सफाई की जा रही थी।

इससे पहले 26 मई को कोर्ट ने राज्य के विभिन्न प्राधिकरणों को नोटिस जारी किया था। इसके अलावा, 31 मई को हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से पूछा था कि राज्य भर में नालों की सफाई के लिए मशीनों और सुरक्षात्मक गियर का उपयोग क्यों नहीं किया जा रहा है।

हालांकि, 12 जुलाई को कोर्ट ने 7 जून, 2022 के आवेदन के साथ रिकॉर्ड में रखी गई कुछ तस्वीरों का अवलोकन किया, जिसमें दिखाया गया था कि किस तरह से नालों की सफाई की जा रही है।

कोर्ट ने कहा,

"उपरोक्त तस्वीरों से यह स्पष्ट है कि वर्कर्स को कोई सुरक्षात्मक गियर प्रदान नहीं किया गया है और वे अभी भी नालियों की सफाई के लिए पानी के नीचे कमर तक गहरे थे। कुछ नाले खुले क्षेत्रों में हैं लेकिन अभी भी सफाई के लिए मशीनों का उपयोग नहीं किया जा रहा है। हालांकि यह दावा किया जाता है कि नगर निगम के पास कई मशीनें उपलब्ध हैं, जिनका उपयोग नालों की सफाई के लिए किया जा रहा है।"

कोर्ट ने आगे कहा कि अपर नगर आयुक्त द्वारा 13 जून, 2022 को दायर किए गए हलफनामे में, इस कोर्ट द्वारा नियुक्त एमिकस क्यूरी द्वारा रिकॉर्ड पर रखी गई उपरोक्त तथ्यात्मक स्थिति का कोई जवाब नहीं था।

कोर्ट ने कहा,

"हम जिलाधिकारी एवं नगर आयुक्त, प्रयागराज को तलब करने के लिए विवश हैं। तदनुसार, जिला मजिस्ट्रेट एवं नगर आयुक्त, प्रयागराज को सुनवाई की अगली तिथि पर कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का निर्देश दिया जाता है।"

इसके साथ ही मामले को 25 जुलाई 2022 तक के लिए स्थगित कर दिया गया।

महत्वपूर्ण बात यह है कि 6 जून को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को प्रत्येक सफाई कर्मचारी को उनके अधिकारों और अधिकारों को सूचीबद्ध करने वाला एक प्रिंटेड पैम्फलेट सौंपने का निर्देश दिया था।

इस संबंध में जस्टिस चंद्र कुमार राय और जस्टिस मनोज कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने राज्य सरकार से सफाई कर्मियों के अधिकारों को निर्दिष्ट करते हुए एक पेज का संक्षिप्त पैम्फलेट तैयार करने और उसे समाचार पत्रों में प्रकाशित करने को कहा है।

केस टाइटल - कार्यरत कर्मचारियों के जीवन एवं स्वास्थ्य की सुरक्षा को पुन: सुनिश्चित करना बनाम मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश सरकार

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