शराब की दुकानों के बाहर लंबी कतारें महिलाओं और बच्चों के सुरक्षित आवागमन में बाधा: केरल हाईकोर्ट ने आबकारी विभाग से दुकानों पर वॉक-इन सुविधा प्रदान करने के बारे में विचार करने के लिए कहा
केरल हाईकोर्ट ने गुरुवार को आबकारी विभाग से लोगों को सड़कों पर लाइन लगाने के बजाय शराब की दुकानों पर वॉक-इन सुविधा प्रदान करने के बारे में विचार करने के लिए कहा।
न्यायमूर्ति देवन रामचंद्रन ने अवमानना याचिका पर विचार करते हुए मौखिक रूप से टिप्पणी की,
"कोई भी अपने निवास के बगल में शराब की दुकान नहीं चाहता है। यह एक सच्चाई है, इसके बारे में झूठ बोलने का कोई मतलब नहीं है। लेकिन अगर शराब की दुकानों पर अन्य सभी दुकानों की तरह वॉक-इन की सुविधा होता तो यह आधी समस्या का समाधान करेगा।"
पीठ ने आगे कहा,
"मुद्दा यह है कि चूंकि ये आउटलेट छोटे और गंदे हैं, लोग सड़कों पर लाइन लगाते हैं, जिससे महिलाओं और बच्चों का सुरक्षित रूप से इन क्षेत्रों से गुजरना असंभव हो जाता है। मुझे समझ नहीं आता कि हम अपने सिर को रेत में क्यों दबा रहे हैं; ऐसा हो रहा है और हम सब इसे जानते हैं।"
सरकारी वकील एस कन्नन ने एक रिपोर्ट प्रस्तुत की और अदालत को सूचित किया कि राज्य के आबकारी विभाग ने राज्य में शराब की दुकानों के सुधार की दिशा में कई छोटे-छोटे कदम उठाए हैं। जिन 33 दुकानों को रखने की अनुमति दी गई है, उनका उन्नयन किया गया है। 12 नए भवनों को शराब की दुकानों को स्थापित करने के लिए उपयुक्त स्थानों के रूप में पहचाना गया है और कई अन्य बातों का उल्लेख रिपोर्ट में किया गया है।
सरकारी वकील ने बताया कि स्टालों पर भीड़भाड़ से बचने के लिए ऑनलाइन बुकिंग सेवाएं भी उपलब्ध कराई गईं हैं।
अदालत ने याचिका की स्थिति के बारे में पूछताछ की कि जिसे केस फाइल में जोड़ा गया था, जिसमें एक महिला ने राममंगलम शहर में स्थित एक विशेष आउटलेट के नए स्थान के बारे में शिकायत की थी।
इस पर सरकारी वकील ने जवाब दिया कि उक्त दुकान के कामकाज की जांच करने के बाद इसे उसी भवन के दूसरे क्षेत्र में पर्याप्त पार्किंग के साथ स्थानांतरित करने के लिए कदम उठाए गए।
कोर्ट ने प्रतिवादियों को निर्देश दिया कि वे राज्य में सभी शराब की दुकानों को नागरिकों के लिए सुविधाजनक बनाने के लिए वॉक-इन दुकानें को बनाने के लिए कदम उठाएं।
इस मामले में BEVCO के नए प्रबंध निदेशक एस श्याम सुंदर को भी निर्देश दिया गया।
नौ नवंबर को फिर मामले की सुनवाई होगी।
आज की कार्यवाही के दौरान कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि लोग राज्य में शराब की दुकानों के सुधार पर हजारों खर्च करने को तैयार हैं।
कोर्ट ने कहा,
"मुझे यह देखकर खुशी हुई कि कोई गरीबी नहीं है जब लोग शराब की दुकानों के सामने लाइन लगा रहे हैं। यह शायद एकमात्र ऐसी जगह है जहां एक समतावादी रवैया है; कोई सब्सिडी नहीं चाहता, कोई आरक्षण नहीं चाहता। हर कोई बिना शिकायत किए आज्ञाकारी रूप से शराब के लिए लाइन में खड़ा होता है।"
नागरिकों को BEVCO आउटलेट्स से शराब खरीदने का सम्मानजनक तरीका प्रदान करने के न्यायालय के आदेश को लागू न करने के संबंध में एक अवमानना याचिका में ये घटनाक्रम सामने आया। कोर्ट ने इन दुकानों के सामने भीड़भाड़ को भी संबोधित किया। यह आदेश चार साल पहले पारित किया गया था।
केस का शीर्षक: माई हिंदुस्तान पेंट्स बनाम एस. अनंतकृष्णन आईपीएस