[बिहार में शराबबंदी] पटना हाईकोर्ट ने शराब की तस्करी करने वालों पर कार्रवाई नहीं होने पर ईडी के संयुक्त सचिव को तलब किया
पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) ने बुधवार को बिहार में शराबबंदी कानून के बावजूद बड़ी मात्रा में शराबी की बरामदगी मामले में बड़े तस्करों पर कार्रवाई नहीं करने पर ईडी के संयुक्त सचिव को तलब किया है।
न्यायमूर्ति संदीप कुमार की एकलपीठ ने आदेश दिया,
"संयुक्त सचिव 4 अप्रैल (सोमवार) को कोर्ट में पेश हों।"
हाईकोर्ट के समक्ष एक गंगाराम की ओर से याचिका दायर की गई थी, जिसमें शराबबंदी कानून के बावजूद बड़ी मात्रा में शराब की तस्करी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई थी।
न्यायमूर्ति संदीप कुमार की एकलपीठ इसी याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
इससे पहले कोर्ट ने ईडी को बड़े शराब सिंडिकेट के खिलाफ केस दर्ज करने और उनके खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया था, लेकिन कई माह बीतने के बावजूद ईडी ने केस दर्ज नहीं किया।
कोर्ट ने कहा था कि जब कोर्ट के निर्देश के बावजूद केस दर्ज करने में देरी की जा रही है तो अन्य केस के बारे में अंदाजा नहीं लगाया जा सकता।
पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने शराब तस्करी के बड़े सिंडिकेट पर कानूनी कार्रवाई नहीं किए जाने और छोटे-छोटे धंधेबाजों को पकड़े जाने पर नाराजगी जताई थी। कोर्ट ने इसके बाद सिंडिकेट को पकड़ने और कार्रवाई करने का आदेश दिया था।
कोर्ट ने ईडी को भी हलफनामा दायर करने का आदेश दिया था।
इसके साथ ही कोर्ट ने आयकर विभाग को भी इस धंधे में जुड़े लोगों की अवैध संपत्ति के बारे में जांच करके कोर्ट के समक्ष रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था।
केंद्र सरकार की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल के.एन.सिंह ने कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया कि केस दर्ज करने के लिए ईडी को भेजा गया है, लेकिन मंजूरी नहीं मिलने के कारण केस दर्ज नहीं हो सका है।
कोर्ट ने इसे गंभीरता से लेते हुए ईडी के संयुक्त सचिव को कोर्ट के समक्ष पेश होने और स्थिति स्पष्ट करने के लिए कहा है।
अब मामले में अगली सुनवाई 4 अप्रैल को होगी।
याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट ब्रज भूषण पोद्दर पेश हुए थे। केंद्र सरकार की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल के.एन.सिंह ओर ईडी की ओर से एडवोकेट पुनम कुमारी सिंह पेश हुईं थीं।
बिहार में शराबबंदी कानून
बिहार विधानसभा में हाल ही में शराबबंदी संसोधन विधेयक पास हुआ। बिहार में अप्रैल 2016 को शराबबंदी लागू हुई थी।
शराबबंदी कानून में सबसे बड़ा बदलाव यह हुआ है कि अब शराब पीकर पहली बार पकड़े जाने वाले को जेल नहीं जाना पड़ेगा। मजिस्ट्रेट जुर्माना लेकर छोड़ सकेंगे। जुर्माना नहीं देने पर जेल जाना पड़ेगा।
लेकिन बार-बार शराब पीकर पकड़ाने पर कड़ी कार्रवाई हो सकती है। हालांकि अभी जुर्माने की राशि तय नहीं हुई है।
बिहार सरकार को शराबबंदी कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट की ओर से भी कुछ गाइडलाइन जारी की गई थी। इसके बाद सरकार ने कानून में संशोधन करने का निर्णय लिया।
केस का शीर्षक: गंगाराम बनाम बिहार राज्य