[बिहार में शराबबंदी] पटना हाईकोर्ट ने शराब सिंडिकेट की संपत्ति जब्त नहीं करने पर आयकर विभाग को फटकार लगाई

Update: 2022-04-06 11:52 GMT

पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) ने सोमवार को बिहार में शराबबंदी कानून के बावजूद बड़ी मात्रा में शराबी की बरामदगी मामले में आयकर विभाग को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि शराब सिंडिकेट के पास आखिर पैसा कहां से आता है? इसकी जांच कौन करेगा?

न्यायमूर्ति संदीप कुमार (Justice Sandeep Kumar) की एकलपीठ ने कहा कि ऊपर-ऊपर जांच कर लेने से काम नहीं चलेगा। आखिर शुरुआती दौर में किसी के पास पैसा कहां से आता है? इसकी जांच की जाए और उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए।

एकल पीठ गंगाराम नाम के एक व्यक्ति की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी। यह आरोपी के पास से 4,800 लीटर आईएमएफएल की बरामदगी से जुड़े मामला है।

कोर्ट ने आयकर विभाग को तीन सप्ताह के भीतर शराब सिंडिकेट के खिलाफ जांच कर रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया।

इसके साथ ही कोर्ट ने निर्देश दिया,

"तीन सप्ताह के भीतर शराब सिंडिकेट के गिरफ्तार सदस्य के सम्पति की भी जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए।"

सरकारी वकील अजय ने कोर्ट को बताया कि शराब सिंडिकेट के बारे में राज्य पुलिस ने जांच की है। जांच में बिहार से लेकर पंजाब हरियाणा तक के लोगों का पूरा ब्योरा है, लेकिन इस रिपोर्ट पर कार्रवाई नहीं की जा रही है।

पक्षकारों के वकील ने कहा कि आयकर विभाग का जवाबी हलफनामा बेतुका है। ऐसा प्रतीत होता है कि आयकर विभाग ने शराब सिंडिकेट के सदस्यों द्वारा अवैध रूप से अर्जित धन के मामले में कोई जांच नहीं की है। आयकर विभाग को पुलिस से विवरण प्राप्त करना चाहिए और उसके बाद शराब सिंडिकेट के सदस्यों द्वारा अवैध रूप से अर्जित धन की जांच करनी चाहिए, जिन्होंने स्वयं स्वीकार किया है कि उन्होंने अवैध शराब के कारोबार से संपत्ति/नकद अर्जित की है।

आयकर विभाग के विद्वान अधिवक्ता तीन सप्ताह के भीतर पटना हाईकोर्ट सीआर में पूरक जवाबी हलफनामा दाखिल करेंगे।

प्रवर्तन निदेशालय की ओर से पेश वकील पूनम सिंह ने इस न्यायालय को सूचित किया है कि ईसीआईआर दर्ज कर लिया गया है और वे मामले पर आगे बढ़ रहे हैं।

पिछली सुनवाई में न्यायमूर्ति संदीप कुमार की एकलपीठ ने तस्करों पर कार्रवाई नहीं करने पर ईडी के संयुक्त सचिव को कोर्ट के समक्ष पेश होने का निर्देश दिया था।

कोर्ट ने ईडी को बड़े शराब सिंडिकेट के खिलाफ केस दर्ज करने और उनके खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया था, लेकिन कई माह बीतने के बावजूद ईडी ने केस दर्ज नहीं किया।

कोर्ट ने कहा था कि जब कोर्ट के निर्देश के बावजूद केस दर्ज करने में देरी की जा रही है तो अन्य केस के बारे में अंदाजा नहीं लगाया जा सकता।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने शराब तस्करी के बड़े सिंडिकेट पर कानूनी कार्रवाई नहीं किए जाने और छोटे-छोटे धंधेबाजों को पकड़े जाने पर नाराजगी जताई थी। कोर्ट ने इसके बाद सिंडिकेट को पकड़ने और कार्रवाई करने का आदेश दिया था।

इसके साथ ही कोर्ट ने आयकर विभाग को भी इस धंधे में जुड़े लोगों की अवैध संपत्ति के बारे में जांच करके कोर्ट के समक्ष रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था।

केंद्र सरकार की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल के.एन.सिंह ने कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया था कि केस दर्ज करने के लिए ईडी को भेजा गया है, लेकिन मंजूरी नहीं मिलने के कारण केस दर्ज नहीं हो सका है।

याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट ब्रज भूषण पोद्दर पेश हुए थे। केंद्र सरकार की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल के.एन.सिंह ओर ईडी की ओर से एडवोकेट पुनम कुमारी सिंह पेश हुईं थीं।

केस का शीर्षक: गंगाराम बनाम बिहार राज्य

आदेश की कॉपी यहां पढ़ें:



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