लाइफ मिशन मामला: केरल हाईकोर्ट ने अंतरिम जमानत की मांग वाली शिवशंकर की याचिका में मेडिकल रिकॉर्ड मांगा

Update: 2023-06-21 07:05 GMT

केरल हाईकोर्ट ने बुधवार को कक्कनाड में जिला जेल के जेल सुपरिटेंडेंट को केरल के मुख्यमंत्री के पूर्व प्रधान सचिव एम. शिवशंकर की 3 महीने की अवधि के लिए अंतरिम जमानत की याचिका पर उनके सभी मेडिकल रिकॉर्ड पेश करने का निर्देश दिया।

14 फरवरी को प्रवर्तन निदेशालय द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद से शिवशंकर लाइफ मिशन मनी लॉन्ड्रिंग मामले में हिरासत में हैं। 24 फरवरी, 2023 को शिवशंकर को 8 मार्च, 2023 तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था। इसके बाद रिमांड बढ़ा दी गई और तब से शिवशंकर न्यायिक हिरासत में है।

शिवशंकर ने पहली बार फरवरी में कोच्चि के विशेष पीएमएलए कोर्ट से जमानत मांगी थी। हालांकि 2 मार्च को उनकी याचिका खारिज कर दी गई और उनकी हिरासत 21 मार्च, 2023 तक बढ़ा दी गई। हाईकोर्ट के समक्ष जमानत अर्जी भी 13 अप्रैल, 2023 को खारिज कर दी गई।

कोर्ट ने उन्हें किसी भी तरह की मेडिकल इमरजेंसी के मामले में अंतरिम जमानत मांगने के लिए विशेष अदालत का दरवाजा खटखटाने की छूट दी। विशेष अदालत ने हालांकि, इस आधार पर उनकी याचिका को खारिज कर दिया कि वह जमानत पर रिहा होने के लिए आपातकाल के किसी भी तत्व को प्रदर्शित करने में विफल रहे।

इसी आधार पर विशेष अदालत के आदेश के खिलाफ मौजूदा याचिका दायर की गई। याचिकाकर्ता का दावा है कि वह रीढ़ से संबंधित, सांस और घुटने की समस्याओं से पीड़ित है, जिसके लिए तत्काल मेडिकल की आवश्यकता है।

जस्टिस कौसर एडप्पागथ ने मौखिक रूप से टिप्पणी की कि यदि रिकॉर्ड से कोई मेडिकल आपात स्थिति सामने आती है तो याचिकाकर्ता को जमानत दे दी जाएगी।

उन्होंने कहा,

"सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि वह (याचिकाकर्ता) मेडिकल इमरजेंसी के आधार पर अंतरिम जमानत के लिए विशेष अदालत का रुख कर सकता है। हम केवल इस सवाल पर हैं कि किसी भी अन्य स्थिति में कोई मेडिकल इमरजेंसी हुई है या नहीं, हमें देखने की जरूरत नहीं है। रिकॉर्ड पेश किए जाने दीजिए और हम इसकी जांच करेंगे।"

अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि वह मामले का फैसला करते हुए अप्रैल में जमानत याचिका खारिज करने वाले अदालत के पिछले आदेश पर गौर नहीं करेगी।

कोर्ट ने कहा,

"पिछले न्यायाधीश ने अलग दृष्टिकोण लिया हो सकता है, यह अलग मुद्दा है। यह एकल न्यायाधीश का आदेश है, जो मुझ पर बाध्यकारी नहीं है। यदि कोई मेडिकल आपात स्थिति है तो जमानत दी जानी चाहिए, अन्यथा यह नहीं होगी।"

न्यायालय ने यह भी नोट किया कि शिवशंकर के चार महीनों में छह एमआरआई स्कैन हुए।

कोर्ट ने कहा,

"आप कैसे कह सकते हैं कि तब कोई मेडिकल इमरजेंसी नहीं है? आप सभी मेडिकल रिकॉर्ड पेश करते हैं।"

कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को इस मामले में अपनी आपत्ति दर्ज कराने का निर्देश दिया।

मामले को 27 मार्च, 2023 को आगे के विचार के लिए पोस्ट किया गया।

याचिका सीनियर एडवोकेट पी. विजया भानु और एडवोकेट जॉर्ज वर्गीज, मनु श्रीनाथ, श्रुति एन. भट और निमेश थॉमस के माध्यम से दायर की गई।

केस टाइटल: एम. शिवशंकर बनाम प्रवर्तन निदेशालय और अन्य।

Tags:    

Similar News