ई-फ़ाइलिंग में आ रही समस्या को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को भेजी पत्र याचिका

Update: 2020-05-05 04:00 GMT
Allahabad High Court expunges adverse remarks against Judicial Officer

ई-फ़ाइलिंग से जुड़े मामलों को लेकर हाईकोर्ट और अधीनस्थ कोर्ट को एक एसओपी जारी करने के लिए निर्देश देने की मांग के बारे में इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को एक पत्र याचिका भेजी गई है।

इस विषय में आवेदन/पीआईएल एडवोकेट सैयद मोहम्मद हैदर ने दायर किया है। इस याचिका में कहा गया है कि ज़रूरी मामलों की ई-सुनवाई वकीलों और मुक़दमादारों को सहूलियत नहीं दे रही है, जैसा कि सोचा गया था और इसके कई कारण हैं और इन पर अदालत को ग़ौर करने की ज़रूरत है।

चूंकि अभी इस बात की उम्मीद कम है कि आने वाले कुछ महीनों में पूर्व की तरह सुनवाई हो पाएगी, इस पीआईएल में कहा गया है कि ई-फ़ाइलिंग और ई-सुनवाई के बारे में स्पष्टता और उसके सरलीकरण के लिए एसओपी बनाए जाने की ज़रूरत है।

पीआईएल में जिन मुद्दों को उठाया गया है और जिनके बारे में अदालत से निर्देश देने को कहा गया है वे इस तरह से हैं -

1. किसी वक़ील को कैसे पता चलेगा कि उसने तत्काल सुनवाई के लिए जो अर्ज़ी दी है, वह उस मेल आईडी पर पहुंच गई है। इस बारे में क्यों नहीं उसी मेल आईडी से स्वतः जवाब दिया जाए?

2. एचसी फ़ाइलिंग को जो लोग काम देख रहे हैं, उन सभी अधिकारियों से संपर्क का विवरण हाईकोर्ट की वेबसाइट पर उपलब्ध होना चाहिए।

3. इस बात को कैसे सुनिश्चित किया जाए कि ई-फ़ाइलिंग को संभालने वाला क्लर्क किसी वक़ील के मेल को हटा नहीं सकता। ऐसा नहीं हो इसके लिए क्या उपाय है?

4. हाईकोर्ट में ई-फ़ाइलिंग का एसओपी क्या है और अधीनस्थ अदलत का एसओपी क्या होगा?

5. हाईकोर्ट के ई-फ़ाइलिंग के मेल बॉक्स की क्षमता क्या है? अगर मेल वापस आ जाए तो कोई क्या करें? मेल को डिलीट करने के लिए कौन अधिकृत है और कब -कब वह ऐसा कर सकता है? क्या मेल को आर्काइव कारने का कोई तरीक़ा है?

6. वरिष्ठ जज के पास मामले को कितनी बार और क्या मेल मिलने के तुरंत बाद रखा जाता है? इसका निर्णय कौन करता है कि मामले को तत्काल या बाद में कब जज के समक्ष रखना है?

7. इसी तरह की प्रक्रिया निचली अदालत में सुनवाई के लिए क्यों नहीं है, जहां हज़ारों लोग बिना सुनवाई के जेलों में पड़े हैं? वहां भी ई-सुनवाई क्यों नहीं की जाती? निचली अदालत में भी ई-सुनवाई की पूरी व्यवस्था की जानी चाहिए।

8. मामले में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व के लिए हाईकोर्ट को अपनी वेबसाइट पर प्राप्त याचिकाओं का डेली डैशबोर्ड प्रकाशित करना चाहिए ताकि वक़ील और मुवक्किल यह जान सकें कि उनके मामले की सुनवाई होगी।

9. हाईकोर्ट सभी ज़िला अदालतों कि लिए ऐसे वक़ील को एमिकस क्यूरी नियुक्त करे जो कंप्यूटर का प्रयोग जानते हैं और जो ई-प्रक्रिया से अवगत हैं।

याचिका में अदालत से राज्य के नागरिकों के हित में इन बातों पर ग़ौर करने का आग्रह किया गया है। 




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