ऑनलाइन जुए के खिलाफ कानून तीन महीने में तैयार और मंजूर किया जाएगा: मध्य प्रदेश सरकार ने हाईकोर्ट से कहा

Update: 2022-12-02 02:30 GMT

Madhya Pradesh High Court

मध्य प्रदेश सरकार ने बुधवार को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट को बताया कि ऑनलाइन जुए के मुद्दे पर विचार करने वाली अधिकारियों की एक समिति ने इस विषय पर एक उचित कानून तैयार करने और इसे विधानसभा से मंजूरी दिलाने के लिए तीन महीने का समय मांगा है।

एक जमानत अर्जी की सुनवाई के दौरान जस्टिस विवेक अग्रवाल के समक्ष यह जानकारी पेश की गई। जुलाई में अदालत ने ऑनलाइन जुए का स्वत: संज्ञान लिया था और "स्टार खिलाड़ियों और अभिनेताओं द्वारा प्रायोजित ऐसे कार्यक्रमों की वैधता पर व्यापक विचार करने के लिए कहा था, जो युवाओं को पैसा बनाने के लिए आकर्षित करते हैं"।

यूनियन ऑफ इंडिया की ओर से पेश एक वकील ने अदालत को बताया कि यह मामला संविधान की अनुसूची VII के तहत राज्य का विषय है और इसलिए मध्य प्रदेश राज्य को इस मुद्दे पर कानून बनाने की आवश्यकता है।

एक 26 वर्षीय युवक ने आईपीसी की धारा 420, 467, 468, 471 और 34 के तहत पिछले साल दर्ज एक मामले में हाईकोर्ट के समक्ष जमानत याचिका दायर की थी। वह दिसंबर 2021 से हिरासत में था।

आरोपी ने कथित रूप से अपने नाना के पेंशन खाते से 8,51,000 रुपये निकाले और इसका इस्तेमाल आईपीएल का 'ऑनलाइन सट्टा' खेलने में किया था। उसे इस शर्त पर जमानत देते हुए कि वह ट्रायल कोर्ट के समक्ष 15 दिनों के भीतर 50 प्रतिशत राशि जमा करेगा, जस्टिस अग्रवाल ने 16 जुलाई को कहा:

"आवेदक 26 साल का एक युवा है और ऑनलाइन गेमिंग पर व्यापक विचार करने की जरूरत है और स्टार खिलाड़ियों और अभिनेताओं द्वारा प्रायोजित ऐसे कार्यक्रमों की वैधता पर व्यापक विचार करने की जरूरत है।"

अदालत ने केंद्र और मध्य प्रदेश सरकार को आदेश दिया था कि वे "स्टार खिलाड़ियों द्वारा प्रचारित ऐसी ऑनलाइन जुआ स्‍कीम्स की वैधता की जांच करें और क्या वे न्यायसंगत और सही हैं और देश में प्राप्त कानूनी प्रावधानों के अनुसार हैं या ऐसी स्‍कीम्स पर रोक लगाने की आवश्यकता है।"

यह मामला अब अगले साल 13 मार्च को सूचीबद्ध किया गया है।

केस टाइटल : सनत कुमार जायसवाल @ संत कुमार बनाम मध्य प्रदेश राज्य

साइटेशन: एमसीआरसी नंबर 24271 ऑफ 2022

कोरम: जस्टिस विवेक अग्रवाल

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