स्कूटर चलाते हुए वीडियो कॉन्फ्रेसिंग में पेश हुआ वकील, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उसकी बात सुनने से इनकार किया
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को एक मामले में पेश एक वकील की सुनवाई से इनकार कर दिया क्योंकि वह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग मोड के जरिए अदालत के समक्ष हो रही सुनवाई में स्कूटर चला रहा था।
जस्टिस मनोज कुमार गुप्ता और जस्टिस सैयद आफताब हुसैन रिजवी की खंडपीठ ने वकील को भविष्य में सावधान रहने को कहा और भविष्य में इस कृत्य को न दोहराने की सलाह दी।
कोर्ट ने आदेश में कहा, "याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने स्कूटर पर सवारी करते हुए अदालत को संबोधित करने की कोशिश की। इसलिए, अदालत ने उसे सुनने से इनकार कर दिया। उसे भविष्य में सावधान रहना चाहिए, भले ही सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हो।"
इसके साथ ही मामले की सुनवाई 12 जुलाई को स्थगित कर दी गई।
इस साल फरवरी में उड़ीसा उच्च न्यायालय ने वर्चुअल मोड में हुई सुनवाई में कोर्ट के सामने बहस करते हुए नेक बैंड नहीं पहनने पर एक वकील पर 500 रूपये का जुर्माना लगाया।
जुर्माना लगाते हुए जस्टिस एस के पाणिग्रही की खंडपीठ ने कहा, "पेशा गंभीर प्रकृति का है और इसकी गहनता इसकी पोशाक से पूरित है। एक अधिवक्ता होने के नाते, उनसे उचित पोशाक के साथ सम्मानजनक तरीके से अदालत के सामने पेश होने की उम्मीद की जाती है, भले ही यह वर्चुअल मोड हो।"
यह ध्यान दिया जा सकता है कि ऐसी घटनाएं भी हुई हैं, जहां अधिवक्ता अनुचित पोशाक में वर्चुअल कोर्ट के समक्ष पेश होते हैं।
गुजरात उच्च न्यायालय ने पिछले साल एक आपराधिक विविध आवेदन की सुनवाई में पाया था कि वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट के समक्ष मौजूद आवेदक-आरोपी नंबर एक, अजीत कुभाभाई गोहिल खुलेआम थूक रहे थे।
आरोपियों के इस प्रकार के आचरण की निंदा करते हुए जस्टिस एएस सुपेहिया की खंडपीठ ने कहा था, "यह अदालत आज आवेदक-आरोपी नंबर एक के आचरण को देखते हुए मामले को सुनने की इच्छुक नहीं है।"
इसके अलावा, अदालत ने आवेदक-आरोपी नंबर एक को 500/- रुपये का जुर्माना उच्च न्यायालय की रजिस्ट्री के समक्ष सुनवाई की अगली तारीख को या उससे पहले जमा करने का निर्देश दिया और कहा कि ऐसा न करने पर मामले को सुनवाई के लिए नहीं लिया जाएगा।
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने कार के अंदर बैठकर वीडियो कॉन्फ्रेंस की कार्यवाही में भाग लेने पर एक वकील को फटकार लगाई थी।
चीफ जस्टिस अभय ओका और जस्टिस अशोक एस किनागी की खंडपीठ ने कहा, "हालांकि असाधारण कारणों से, हम वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग माध्यम से माध्यम से मामलों को सुनने के लिए मजबूर हैं। हमें उम्मीद है और बार के सदस्य न्यूनतम मर्यादा का पालन करेंगे।"
पिछले साल, सुप्रीम कोर्ट ने एक वकील की माफी को स्वीकार किया था, जो टी-शर्ट पहने बिस्तर पर लेटे हुए कोर्ट के सामने पेश हुआ था। कोर्ट ने उस मामले में वीडियो माध्यम से सुनवाई के दौरान न्यूनतम कोर्ट शिष्टाचार बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर दिया था।
राजस्थान उच्च न्यायालय ने एक बार वीडियो कॉन्फ्रेंस की सुनवाई के दौरान वकील के "बनियान" में पेश होने के कारण जमानत याचिका स्थगित कर दी थी।
उड़ीसा उच्च न्यायालय ने वीसी के माध्यम से वाहनों, बगीचों और खाने आदि के दौरान वकीलों द्वारा मामलों पर बहस करने की प्रथा की निंदा की थी।
इसके अलावा, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने वर्चुअल कोर्ट सुनवाई का स्क्रीनशॉट 'लिंक्डइन' पर पोस्ट करने पर एक एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेकर अवमानना कार्रवाई शुरू की थी। उस ममाले में सिंगल जज बेंच ने एक अनुकूल अंतरिम आदेश पारित किया था।
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने कहा था कि आभासी अदालती कार्यवाही का स्क्रीनशॉट लेना वास्तविक अदालती कार्यवाही की तस्वीर क्लिक करने के समान है। हालांकि, अवमानना की कार्यवाही को बाद में वकील को चेतावनी देते हुए रद्द कर दिया गया कि भविष्य में इस तरह के आचरण को नहीं दोहराया जाएगा।