लखीमपुर खीरी हिंसा: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत याचिका पर यूपी सरकार से मांगा जवाब
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार से 10 दिनों के भीतर जवाब देने के लिए कहा।
जस्टिस करुणेश सिंह पवार की बेंच ने दलीलें सुनने के बाद यूपी सरकार को जमानत अर्जी पर अपना जवाब दाखिल करने और सभी गवाहों के बयान दर्ज करने के लिए 10 दिन का समय दिया।
मिश्रा के वकीलों ने तर्क दिया कि जांच में मिश्रा की भूमिका सामने नहीं आई है।
संबंधित समाचार में, लखीमपुर खीरी (उत्तर प्रदेश) की एक अदालत ने इस महीने की शुरुआत में लखीमपुर खीरी हिंसा की घटना में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा 'टेनी' के बेटे आशीष मिश्रा, आशीष पांडे और लवकुश राणा के खिलाफ दर्ज मामले में जमानत याचिका खारिज कर दी थी।
इससे पहले लखीमपुर खीरी के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी चिंता राम ने मिश्रा की जमानत खारिज कर दी थी।
अभियोजन पक्ष द्वारा केस डायरी, 60 चश्मदीदों के बयान और 4 फायर आर्म्स की रिपोर्ट पेश करने के बाद सत्र न्यायाधीश मुकेश मिश्रा ने उसकी जमानत याचिका खारिज कर दिया था।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, जिला सरकारी वकील अरविंद त्रिपाठी ने कहा कि तीनों आरोपियों की जमानत याचिका खारिज करते हुए अदालत ने कहा कि मामला गंभीर प्रकृति का है और फिलहाल जांच जारी है।
आरोपी आशीष मिश्रा 9 अक्टूबर को यूपी पुलिस द्वारा जारी एक नोटिस के अनुसार लखीमपुर खीरी में अपराध शाखा कार्यालय के सामने पेश हुआ था।
इसके बाद रविवार (10 अक्टूबर) को करीब 12 घंटे की पूछताछ के बाद 1 बजे उसे गिरफ्तार कर लखीमपुर जेल भेज दिया गया।
मामले की पृष्ठभूमि
3 अक्टूबर को, कई किसान उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की लखीमपुर खीरी जिले की यात्रा के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। तभी एक एसयूवी तेजी से आई और किसानों को कुचल दिया। इस घटना में चार किसानों की मौत हो गई और कई किसान घायल हुए।
कथित तौर पर, एसयूवी केंद्रीय गृह राज्य मंत्री और भाजपा सांसद अजय कुमार मिश्रा के काफिले का हिस्सा थी।
पुलिस ने आशीष मिश्रा (मंत्री अजय कुमार मिश्रा के बेटे) और कई अन्य के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 के तहत हिंसा के संबंध में प्राथमिकी दर्ज की।
घटना का एक कथित वीडियो भी सोशल मीडिया में सामने आया है जिसमें प्रदर्शनकारियों के एक समूह खेतों के किनारे से शांति से जा रहे हैं और फिर पीछे से एक ग्रे एसयूवी द्वारा कुचल दिया जा रहा है।
8 नवंबर को, सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश पुलिस की जांच पर अपना असंतोष व्यक्त किया था और कहा था कि वह जांच की निगरानी के लिए दूसरे राज्य के उच्च न्यायालय से एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश को नियुक्त करने का प्रस्ताव कर रहे हैं।
उत्तर प्रदेश राज्य ने रविवार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि वे लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में जांच की निगरानी के लिए एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की नियुक्ति के लिए सहमत हैं।
भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमाना, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हेमा कोहली की पीठ ने इस पर ध्यान देते हुए न्यायाधीश के नाम पर फैसला करने के लिए मामले को बुधवार के लिए सूचीबद्ध किया।