[कृष्ण जन्मभूमि विवाद] "शाही ईदगाह में वैज्ञानिक जांच की मांग वाली याचिका पर जल्द निर्णय लें": इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मथुरा कोर्ट से कहा

Update: 2022-07-19 02:44 GMT

इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने मथुरा कोर्ट (Mathura Court) को निर्देश दिया है कि वह 2021 के मुकदमे (भगवान श्रीकृष्ण विराजमान एंड अन्य बनाम यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड एंड अन्य) के संबंध में शाही ईदगाह (Shahi Idgah) और जहांआरा की मस्जिद की वैज्ञानिक जांच करने के लिए उसके समक्ष दायर एक आवेदन पर शीघ्र निर्णय करें।

जस्टिस विपिन चंद्र दीक्षित की पीठ ने भगवान श्रीकृष्ण विराजमान और 3 अन्य द्वारा दायर एक अनुच्छेद 227 याचिका पर सुनवाई करते हुए आदेश दिया कि मथुरा कोर्ट के समक्ष दायर आवेदन पर फैसला करने के लिए सिविल जज (सीनियर डिवीजन), मथुरा को निर्देश दिया जाए।

इस साल अप्रैल में एक मनीष यादव के माध्यम से भगवान श्रीकृष्ण विराजमान द्वारा मथुरा कोर्ट के समक्ष एक आवेदन दायर किया गया था, हालांकि, यह न्यायालय के समक्ष लंबित रहा, इसलिए उक्त निर्देश की मांग करने वाली वर्तमान याचिका हाईकोर्ट के समक्ष स्थानांतरित की गई थी।

आवेदन (मथुरा कोर्ट के समक्ष) शाही ईदगाह और जहांआरा की मस्जिद की वैज्ञानिक जांच करने के लिए सिविल वाद संख्या 151 ऑफ 2021 (भगवान श्रीकृष्ण विराजमान और अन्य बनाम यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और अन्य) में साक्ष्य अधिनियम की धारा 45 और सिविल प्रक्रिया संहिता के आदेश XXVI के नियम 10-ए के प्रावधानों के तहत दायर किया गया है।

याचिकाकर्ताओं के वकील ने प्रस्तुत किया कि वादी-याचिकाकर्ताओं द्वारा सिविल जज, मथुरा द्वारा 1967 के सिविल सूट नंबर 43 में पारित निर्णय और डिक्री दिनांक 20.7.1973 और 7.11.1974 को रद्द करने के साथ-साथ विवादित संपत्ति पर कब्जा हटाने के लिए मुकदमा दायर किया गया था।

इसके बाद, याचिकाकर्ताओं ने 14.4.2021 को एक विशेषज्ञ की राय के लिए एक आवेदन दिया। आगे यह भी प्रस्तुत किया गया कि यद्यपि प्रतिवादियों को तामील कर दी गई है, उन्होंने दिनांक 14.04.2021 के आवेदन पर कोई आपत्ति दर्ज नहीं की है।

वहीं, यू.पी. सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड (प्रतिवादी संख्या 1) ने प्रस्तुत किया कि उसने आदेश 7 नियम 11 सी.पी.सी. के तहत एक आवेदन भी दायर किया था। 16 जुलाई 2022 को, जो विचार के लिए भी लंबित है और यदि दोनों आवेदनों में तेजी लाई जाती है और एक साथ निर्णय लिया जाता है तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं है।

उपरोक्त के मद्देनजर, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सिविल जज (सीनियर डिवीजन), मथुरा/कोर्ट को वादी-याचिकाकर्ताओं के आवेदन और प्रतिवादी संख्या 1 द्वारा दायर आवेदन पर शीघ्रता से निर्णय लेने का निर्देश दिया, यदि संभव हो तो तीन महीने के भीतर संबंधित पक्षों की सुनवाई के संबंध में अवसर देने के बाद निर्णय लें।

उपरोक्त निर्देश के साथ, भारत के संविधान के अनुच्छेद 227 के तहत वर्तमानन याचिका का अंतिम रूप से निपटारा किया गया।

केस टाइटल - भगवान श्रीकृष्ण विराजमान एंड 3 अन्य बनाम यू.पी. सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड एंड 3 अन्य [अनुच्छेद 227 के तहत मामले – 5268 ऑफ 2022]

केस साइटेशन: 2022 लाइव लॉ 326

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