खेड़ा में मुस्लिम व्यक्तियों को कोड़े मारने के मामले में अवमानना के आरोपों का सामना कर रहे पुलिसकर्मियों ने हाईकोर्ट से दंडित न करने का आग्रह किया
पिछले साल खेड़ा जिले में पांच मुस्लिम पुरुषों को बेरहमी से पीटने के लिए गुजरात हाईकोर्ट द्वारा जिन चार पुलिसकर्मियों पर अदालत की अवमानना अधिनियम के तहत आरोप लगाया गया था, उन्होंने बुधवार को हाईकोर्ट में कहा कि यदि वे अंततः दोषी पाए जाते हैं तो उन्हें दंडित नहीं किया जाए, बल्कि इसके बजाय शिकायतकर्ताओं को मुआवजा दिया जाए।
जस्टिस एएस सुपेहिया और जस्टिस गीता गोपी की पीठ के समक्ष आरोपी पुलिसकर्मियों की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट प्रकाश जानी ने यह दलील दी कि पुलिसकर्मियों ने 10-15 साल तक सेवा की है और अब अगर उन्हें दोषी पाया जाता है और दंडित किया जाता है तो इससे उनके रिकॉर्ड पर प्रतिकूल असर होगा।
सीनियर एडवोकेट की दलील को ध्यान में रखते हुए अदालत ने पुलिसकर्मियों की उक्त याचिका पर शिकायतकर्ता-मुस्लिम पुरुषों से जवाब मांगते हुए मामले को सोमवार तक के लिए स्थगित कर दिया।
गौरतलब है कि गुजरात हाईकोर्ट ने पिछले सप्ताह डीके बसु मामले के दिशानिर्देशों के कथित उल्लंघन के कारण पिछले साल अक्टूबर में खेड़ा जिले में मुस्लिम पुरुषों को सार्वजनिक रूप से पीटने के आरोपी चार पुलिसकर्मियों के खिलाफ अवमानना के आरोप तय किए थे।
उल्लेखनीय है कि अवमानना के आरोप तय करने का आदेश पीठ द्वारा अगस्त 2023 में दायर नडियाद में सीजेएम कोर्ट की एक रिपोर्ट पर गौर करने के बाद पारित किया गया था , जिसमें स्थानीय अपराध शाखा इंस्पेक्टर (एवी परमार), सब-इंस्पेक्टर (डीबी कुमावत), हेड कांस्टेबल (कनकसिंह लक्ष्मण सिंह) और एक कांस्टेबल (राजू रमेशभाई डाभी) सहित घटना में आरोपी 14 पुलिसकर्मियों में से 4 की पहचान की गई थी।
इससे पहले इस साल जुलाई में एचसी ने संबंधित सीजेएम को पेन ड्राइव और घटना से संबंधित वीडियो सहित अन्य इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य का विश्लेषण करने का निर्देश दिया था। यह निर्देश एक प्रभावित परिवार के 5 सदस्यों द्वारा आरोपी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ अवमानना कार्रवाई की मांग वाली याचिका पर दिया गया था।
कथित तौर पर युवकों के एक समूह को एक खंभे के पास लाया गया, जहां उनके साथ शारीरिक दुर्व्यवहार किया गया। पुलिस की यह कार्रवाई कथित तौर पर खेड़ा जिले के मटर तालुका स्थित उंधेला गांव में सांप्रदायिक झड़प के बाद हुई थी। आरोप है कि नवरात्रि समारोह के दौरान कुछ कथित घुसपैठियों ने भीड़ पर पथराव किया. घटना में कम से कम 40 लोगों को गिरफ्तार किया गया था।
पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा था कि क्या कोई कानून इसकी इजाजत देता है कि 'किसी आरोपी को खंभे से बांधकर सबके सामने पीटा जा सकता है?'
इस साल जनवरी में गुजरात सरकार ने हाईकोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया कि उसने कोड़े मारने के मामले में एक पुलिस निरीक्षक सहित 5 पुलिसकर्मियों को प्रथम दृष्टया दोषी पाया है।