हिरासत में मौत के मामले में आरोपी आबकारी अधिकारियों की बहाली पर केरल हाईकोर्ट ने असंतोष जताया
केरल हाईकोर्ट ने हिरासत में मौत के मामले में आरोपी सात आबकारी अधिकारियों की बहाली पर मंगलवार को असंतोष जताया।
न्यायमूर्ति पी.वी. कुन्हीकृष्णन ने मामले में शामिल पक्षों को सुनने के बाद कहा:
"मैं प्रतिवादी के रुख से संतुष्ट नहीं हूं। पक्षकार एक हत्या के मामले में शामिल रहने वाले आबकारी विभाग की एक सिफारिश के आधार पर प्रतिवादियों की बहाली के संबंध में एक हलफनामा दायर करें।"
तदनुसार मामले को आगे के विचार के लिए 26 नवंबर को सूचीबद्ध किया गया है। इस समय तक प्रतिवादियों को एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया गया है।
यह अवलोकन मृतक की पत्नी रंजीत कुमार द्वारा दायर एक याचिका में आया है। दो साल पहले आबकारी हिरासत में उसकी मौत हो गई थी। याचिकाकर्ता ने हिरासत में मौत के मामले में आरोपी आबकारी विभाग के कुछ अधिकारियों के निलंबन को वापस लेने के सरकारी आदेश को चुनौती दी है।
आबकारी अधिकारियों ने मृतक रंजीत कुमार को एक अक्टूबर, 2019 को गुरुवायूर से कथित तौर पर दो किलोग्राम गांजा रखने के आरोप में अवैध हिरासत में ले लिया था।
आरोप है कि उसे त्रिशूर जिले में एक ताड़ी की दुकान के गोदाम में ले जाया गया और उसके बाद बेरहमी से मारपीट की गई। चार्जशीट के अनुसार, कुमार ने उस शाम दम तोड़ दिया।
याचिकाकर्ता ने प्रस्तुत किया कि आरोपी आबकारी अधिकारी एर्नाकुलम में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कोर्ट के समक्ष अभियोजन का सामना कर रहा है। इसलिए, सेवा से निलंबन की वापसी और उसी विभाग में उनकी बहाली को अवैध बताया गया।
अदालत ने याचिकाकर्ता के रुख से सहमति जताई और सेवा में उनकी बहाली की निंदा की। कोर्ट ने कहा कि अगर इस हत्या का आरोपी एक सामान्य नागरिक होता तो ऐसा नहीं होता।
केस शीर्षक: नेस्सी पी बनाम केरल राज्य