'आपके पक्ष में एकमात्र पहलू यह है कि आप स्टूडेंट हैं': केरल हाईकोर्ट ने दहेज की मांग के कारण प्रेमिका को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोपी डॉक्टर से कहा

Update: 2023-12-20 08:09 GMT

केरल हाईकोर्ट ने बुधवार को मौखिक रूप से कहा कि डॉ. रुवैस, जिस पर अपनी प्रेमिका डॉ. शहाना को आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया गया, उसके पक्ष में एकमात्र पहलू यह है कि वह स्टूडेंट है।

डॉ. शहाना सरकारी मेडिकल कॉलेज, तिरुवनंतपुरम में पोस्ट ग्रेजुएशन सर्जरी की स्टूडेंट थीं। उन्होंने कथित तौर पर रुवैस द्वारा दहेज की मांग पूरी न होने के कारण शादी से पीछे हटने के कारण आत्महत्या कर ली थी।

आरोप है कि रुवैस के परिवार ने शहाना के परिवार से 150 संप्रभु सोना, 15 एकड़ जमीन और बीएमडब्ल्यू कार की मांग की थी, जिसे वह पूरा नहीं कर सके। घटना सामने आने पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने डॉ. शहाना को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में रुवैस का मेडिकल लाइसेंस निलंबित कर दिया।

रुवैस पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 306 और दहेज निषेध अधिनियम की धारा 4 के तहत अपराध का आरोप लगाया गया।

जस्टिस गोपीनाथ पी. की एकल न्यायाधीश पीठ का विचार है कि डॉ. शहाना द्वारा छोड़े गए सुसाइड नोट से कुछ पहलू स्पष्ट है, जिसमें रुवैस को उसकी वित्तीय स्थिति के बारे में पता होना भी शामिल है।

मामले की पृष्ठभूमि।

कोर्ट ने कहा मौखिक रूप से देखा गया,

"सुसाइड नोट को पढ़ने से कुछ बातें स्पष्ट होती हैं.. एक - आप उसकी वित्तीय स्थिति के बारे में जानते थे। ऐसे प्रत्यक्षदर्शी हैं, जो बताते हैं कि जब आपके माता-पिता घर गए तो वित्तीय पृष्ठभूमि के बारे में बातचीत हुई। भाई और मां का कहना है कि जिस दिन उसने आत्महत्या की, उस दिन उसने आपसे संपर्क करने की भी कोशिश की। आपने वह मैसेज हटा दिया.. अब जमानत देने के लिए आपके पक्ष में एकमात्र बात यह है कि आप स्टूडेंट हैं। ... आपका मामला यह है कि आपका करियर नष्ट नहीं होना चाहिए।''

रुवैस द्वारा दायर जमानत अर्जी पर विचार करते हुए कोर्ट ने उपरोक्त टिप्पणियां कीं।

याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत पर यह प्रभाव डालने का प्रयास किया कि यदि उसे जमानत नहीं दी गई तो उसका करियर और भविष्य खराब हो जाएगा। उन्होंने आगे कहा कि उनका लैपटॉप, कार और अन्य सामान जब्त कर लिया गया और उनके लिए जांच प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने की कोई गुंजाइश नहीं है।

गौरतलब है कि याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत से यह भी कहा कि डॉ. शहाना को अधिक सावधान रहना चाहिए था और आत्महत्या जैसे चरम कदम नहीं उठाना चाहिए था।

रुवैस के वकील ने प्रस्तुत किया,

"वह एक पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल स्टूडेंट भी है। उसे भी सावधान रहना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कई मामलों में कहा कि अगर शादी का वादा करके यौन संबंध बनाया जाता है तो भी यह बलात्कार नहीं है। यहां ऐसे कोई संबंध नहीं बनाए गए। वह नाबालिग नहीं है। इस प्रकार के प्यार में लिप्त होने पर उसे सावधान रहना चाहिए। मेरा कहना है कि लड़कियों को सावधान रहना चाहिए।"

कॉलेज और हॉस्टल परिसर न छोड़ने जैसी कड़ी शर्तों के बावजूद, अकेले अपनी पढ़ाई जारी रखने के उद्देश्य से रुवैस की जमानत की याचिका पर अदालत ने उसका प्रतिनिधित्व करने वाले वकील से कहा कि वह कॉलेज में बहाल होने की उसकी संभावनाओं का पता लगाए।

वर्तमान याचिका एडवोकेट नीरीश मैथ्यू के माध्यम से दायर की गई।

केस टाइटल: डॉ. रुवैस ई.ए. बनाम केरल राज्य

केस नंबर: जमानत आवेदन नंबर 11024/2023

Tags:    

Similar News