केरल हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री पर स्वप्ना सुरेश द्वारा लगाए आरोपों के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग वाली याचिका खारिज की
केरल हाईकोर्ट (Kerala High Court) ने स्वप्ना सुरेश (Swapna Suresh) द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें विधायक केटी जलील (K T Jaleel), मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन (CM Pinarayi Vijayan) और सरकार के खिलाफ कथित रूप से झूठी जानकारी फैलाने के लिए उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग की गई थी।
जस्टिस ज़ियाद रहमान ए ए की पीठ ने प्राथमिकी को रद्द करने की मांग वाली स्वप्ना सुरेश की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि वह अंतिम रिपोर्ट को चुनौती देने के लिए स्वतंत्र होंगी।
सोने की तस्करी मामले में मुख्य आरोपी स्वप्ना सुरेश ने आरोप लगाया था कि मुख्यमंत्री, उनकी पत्नी, उनकी बेटी, के.टी. जलील और अन्य इस तस्करी मामले में शामिल थे।
वर्तमान प्राथमिकी स्वप्ना के बयानों के बाद दर्ज की गई थी जिसमें आरोप लगाया गया कि उसने पूर्व विधायक पीसी जॉर्ज के साथ साजिश रची थी और उसके बाद मजिस्ट्रेट के सामने झूठे और मानहानिकारक बयान दिए और मीडिया में झूठी खबर फैलाई, जिससे आम जनता को दंगा भड़काने के लिए उकसाया।
प्राथमिकी में भारतीय दंड संहिता की धारा 153 (दंगा भड़काने के इरादे से उकसाना) और 120 बी (आपराधिक साजिश) के तहत अपराध शामिल हैं।
याचिका की ओर से पेश वकील आर. कृष्णा राज ने दलील दी कि याचिकाकर्ता के खिलाफ दर्ज शिकायत झूठी, दुर्भावनापूर्ण और टिकाऊ नहीं है। यह भी तर्क दिया गया कि 164 सीआरपीसी के तहत दिए गए बयान को वापस लेने के लिए उसे मजबूर करने का प्रयास किया गया था।
अपने बयान के माध्यम से, राज्य ने पहले अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया कि इस मामले में जांच, राज्य पुलिस प्रमुख द्वारा गठित विशेष जांच दल को सौंप दी गई है।
राज्य द्वारा यह भी कहा गया कि मीडिया के समक्ष याचिकाकर्ता द्वारा दिए गए कथित मानहानिकारक बयानों के प्रत्यक्ष और तत्काल परिणाम के रूप में, पूरे राज्य ने उसके आधे घंटे के भीतर एक राजनीतिक रूप से प्रेरित प्रचंड दंगे और हिंसा और शांति के उद्देश्यपूर्ण उल्लंघन को देखा है।
केस टाइटल: स्वप्ना प्रभा सुरेश बनाम केरल राज्य