केरल सरकार बनाम अडानीः सुप्रीम कोर्ट ने एएआई के खिलाफ केरल सरकार की याचिका को केरल हाईकोर्ट को वापस लौटाया, मेरिट के आधार पर फैसला करने का आदेश

प‌िछले साल 18 दिसंबर को, केरल उच्च न्यायालय ने फैसले के खिलाफ केरल सरकार की एक रिट याचिका खार‌िज़ कर दी थी।

Update: 2020-02-28 11:02 GMT

केरल हाईकोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केरल उच्च न्यायालय के एक फैसले को रद्द कर दिया, जिसमें उसने केरल सरकार की एक याचिका को गैर-पोषणीय माना था।

केरल सरकार ने अपनी रिट याचिका में एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें तिरुवनंतपुरम इंटरनेशनल एयरपोर्ट का ऑपरेशन और प्रबंधन अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड को सौंपा गया था।

चीफ जस्टिस ऑफ ‌इंडिया एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने केरल सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता चंदर उदय सिंह की दलीलों को सुनने के बाद याचिका पर मेरिट के आधार पर फैसला लेने के लिए उच्च न्यायालय के पास वापस भेज दिया।

उल्लेखनीय है कि प‌िछले साल 18 दिसंबर को, केरल उच्च न्यायालय ने फैसले के खिलाफ केरल सरकार की एक रिट याचिका खार‌िज़ कर दी थी।

केरल उच्‍च न्यायालय का कहना था कि केंद्र सरकार के एक अधिकारी के खिलाफ विवाद होने के कारण मामला संविधान के अनुच्छेद 131 के दायरे में आता है। उच्च न्यायालय ने कहा था कि संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत दायर राजय सरकार की रिट याचिका गैर-पोषणीय है।

एएआई ने एयपोर्ट के संचालन के लिए एक निजी कंपनी के चयन किया ‌था, जबकि केरल सरकार ने उन्हीं कॉमर्स‌ियल रेट्स, पर ‌जिन्हें अडानी इंटरप्राइजेज ने कोट किया था, एयर पोर्ट के संचालन और प्रबंधन का प्रस्ताव दिया था, जिसमें बाद केरल सरकार ने एएएआई के फैसले को मनमाना, दुर्भावनापूर्ण और सार्वजनिक हितों के खिलाफ बताते हुए हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।

याचिका में कहा गया था कि केरल सरकार के पास हवाई अड्डों के संभालन का अनुभव है। कोचीन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा और कन्नूर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा का संचालन और प्रबंधन वो कंपनियां कर रही हैं, जिनमें केरल सरकार की प्रमुख हिस्सेदारी है।

याचिका में कहा गया है कि केरल सरकार कोचीन इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (CIAL) या कन्नूर इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (KIAL) जैसे ही तिरुवनंतपुरम एयरपोर्ट के लिए भी एक विशेष प्रयोजन वाहन बनाने की इच्छुक थी और तैयारी में थी, और ये जानकारी केंद्र सरकार और AAI को भी दी जा चुकी थी।

चूंकि अडानी एंटरप्राइजेज के पास हवाई अड्डों संभालने का कोई पुराना अनुभव नहीं है, इसलिए एएआई का फैसला सार्वजनिक हितों के अनुरूप नहीं है।

स्पेशल लीव पिटिशन में कहा गया-

"एयरपोर्ट अथॉरिटी का तिरुवनंतपुरम हवाई अड्डे के संचालन, प्रबंधन और विकास का अधिकार एक निजी पार्टी, उत्तरदाता नंबर 9 (अडानी) को, को देने का प्रयास, जिसके पास हवाई अड्डों के प्रबंधन का कोई अनुभव नहीं है, सार्वजनिक हितों के खिलाफ है और एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया एक्ट, 1994 के प्रावधानों का उल्लंघन है, साथ-साथ राज्य सरकार के मालिकाना हक के प्रावधानों का भी उल्लंघन है, जिसमें तिरुवनंतपुरम एयरपोर्ट स्थित है, खासकर तब जबकि केरल के माननीय मुख्यमंत्री ने प्रोजेक्ट के लिए उसी रेट की पेशकश की है, जिसे रेस्पोंडेंट नं 9 ने उद्धृत किया था।"

उच्च न्यायालय में, मुख्य न्यायाधीश एस मणिकुमार और न्यायमूर्ति एएम शफिक की खंडपीठ ने कहा कि चूंकि एएआई केवल केंद्र सरकार के नीतिगत फैसले का पालन कर रहा था, इसलिए मामला केंद्र सरकार के साथ विवाद का है, जो संविधान के अनुच्छेद 131 के तहत दायर मुकदमे के तहत हल किया जा सकता है।

इस तर्क को यह कहते हुए चुनौती दी गई कि अनुच्छेद 131 के तहत एक मुकदमा राज्य के मामलों और निजी पार्टियों के साथ विवादों पर विचार नहीं करता है।

"उच्च न्यायालय यह समझने में विफल रहा है कि संविधान के अनुच्छेद 131 में दिया गया 'राज्य', संविधान के अनुच्छेद 12 में दिया गया 'राज्य' नहीं हो सकता। संविधान के अनुच्छेद 12 और 36 की शर्तों के अनुसार एयरपोर्ट अथॉरिटी "राज्य" हो सकता है।

संविधान के अनुच्छेद 12 और 36 में "राज्य" की ऐसी व्यापक परिभाषा, जैसा कि उक्त अनुच्छेदों में अनिवार्य है, भाग III और IV के उद्देश्य से दी गई है, इसलिए संविधान के भाग III और IV के संदर्भ में दी गई "राज्य" की विशेषताओं को, अनुच्छेद 131 में ‌दिए गए "राज्य" को एक नहीं माना जा सकता है। यह केवल उसी राज्य के संबंध में है, जो भारत की संघात्मक इकाई है।" 

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